#NewsBytesExplainer: जम्मू-कश्मीर में लिथियम का भंडार मिलने के क्या हैं मायने, क्या फायदा होगा?
भारत के जम्मू-कश्मीर में रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में 5.9 मिलियन टन (59 लाख टन) लिथियम के भंडार का पता चला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने इसकी खोज की है। यह दुनिया का तीसरा बड़ा लिथियन भंडार माना जा रहा है। यह खोज भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में लिथियम भंडार मिलने के क्या मायने हैं और क्या इससे भारत की विदेशों पर निर्भरता खत्म होगी।
सबसे पहले जानिए क्या होता है लिथियम
लिथियम नाम ग्रीक शब्द 'लिथोस' से लिया गया है। इसका मतलब 'पत्थर' होता है। यह एक प्रकार की अलौह धातु है। इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप, गाड़ियों समेत सभी तरह की चार्ज होने बैटरी बनाने में किया जाता है। इसी तरह मूड स्विंग और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसके भंडार का पता लगाना भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने दिशा में बड़ा कदम है।
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है लिथियम?
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। लिथियम और आयन से बनी बैटरियों में लेड-एसिड या निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरियों की तुलना में ऊर्जा घनत्व अधिक होता है। ऐसे में लिथियम बैटरी अन्य बैटरियों के मुकाबले काफी छोटी होती हैं और चार्ज होने के साथ इनका जीवनकाल भी अधिक होता है। उदाहरण के लिए, 600 किलो लिथियम-आयन बैटरी 4,000 किलो वाली लेड-एसिड बैटरी के बराबर ही ऊर्जा पैदा करने में सक्षम होती है।
दुनिया में कहां है सबसे ज्यादा लिथियम का भंडार?
वर्तमान में दुनिया में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में 93 लाख टन का है। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन, अर्जेंटीना में 27 लाख टन और चीन में 20 लाख टन का उत्पादन होता है।
लिथियम का भंडार मिलने से भारत को क्या होगा फायदा?
भारत में लिथियम का भंडार मिलना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका कारण है कि भारत फिलहाल 96 प्रतिशत लिथियम का अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, चीन, अर्जेंटीना और बोलीविया से आयात करता है। इसमें भारत की काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। ऐसे में भंडार मिलने से भारत न सिर्फ खुद को इस खर्च से बचा सकेगा, बल्कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ दूसरे देशों में भी निर्यात कर राजस्व बढ़ा सकता है।
भारत में लिथियम को लेकर वर्तमान में क्या है स्थिति?
वर्तमान में भारत अपनी जरूरत का 96 फीसदी लिथियम आयात करता है। इसमें से 80 प्रतिशत आयात चीन से किया जाता है। भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लिथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8,984 करोड़ रुपये और 2021-22 में 13,838 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसी तरह भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया की खदानों में अपनी हिस्सेदारी खरीदने पर भी काम कर रहा है।
कितनी है लिथियम की कीमत?
कमोडिटी मार्केट में मेटल की कीमत भी रोजाना तय होती है। इस समय एक टन लिथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है। भारत में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। ऐसे में आज के समय इसकी कीमत लगभग 3,384 अरब रुपये होगी।
क्या भारत में मिले भंडार से चीन को होगा नुकसान?
भारत में मिले भंडार से चीन को बड़े नुकसान की संभावना है। चीन ने 2030 तक 40 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का लक्ष्य रखा है। यही कारण है कि दुनिया में उपयोग में ली जा रही 10 लिथियम बैटरियों में से लगभग चार का चीन में इस्तेमाल हो रहा है। लिथियम की इंपोर्टेड बैटरियों का 77 प्रतिशत उत्पादन भी चीन में होता है। ऐसे में यदि भारत ने लिथियम बैटरियां बनाना शुरू कर दिया तो चीन को बड़ा नुकसान होगा।
भारत के सामने क्या होगी चुनौतियां?
ऐसा नहीं है कि लिथियम का भंडार मिलने मात्र से ही भारत के लिए बैटरियां बनाना आसान हो जाएगा। इसका कारण है कि लिथियम का उत्पादन बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और इसमें कई आधुनिक तकनीकों की जरूरत होती है। जैसे ऑस्ट्रेलिया में भले ही लिथियम का भंडार 63 लाख मीट्रिक टन का है, लेकिन उत्पादन 0.6 मिलियन टन ही हो पाता है। ऐसे में भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे पहले उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
क्या लिथियम भंडार मिलने से सस्ती होंगी बैटरियां?
अगर भारत अपने भंडार से आवश्यकता के अनुसार लिथियम उत्पादन करने में कामयाब रहता है तो फिर लोगों को इसका फायदा मिल सकता है। इससे बैटरियां काफी सस्ती होंगी और इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम भी कम हो जाएंगे। दरअसल, इलेक्ट्रिक कारों की कीमत में करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी बैटरी पैक की होती है। उदाहरण के तौर पर 15 लाख रुपये वाली इलेक्ट्रिक कार में लगे बैटरी पैक की कीमत सात लाख रुपये तक हो सकती है।
पर्यावरण के लिए लिथियम आयन बैटरियों से हैं बड़ी उम्मीदें
इलेक्ट्रिक वाहनों को भविष्य की आवाजाही के तौर पर देखा जा रहा है और इनमें लिथिमय आयन बैटरियों का इस्तेमाल होता है। जलवायु परिवर्तन से जूझ रही दुनिया को लिथियम बैटरियों से बड़ी उम्मीदें हैं। अगर दुनियाभर में इन बैटरियों से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल बढ़ता है तो करोड़ों टन कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में फैलने से रोका जा सकता है। इससे तेजी से बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकेगा।