क्या है सुपर अल नीनो, जिसके कारण अगले साल भारत में भीषण सूखा पड़ सकता है?
जलवायु परिवर्तन और बाकी घटनाओं की वजह से मौसम में अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब इस संबंध में एक और चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के मुताबिक, 2024 में मार्च-मई के दौरान बेहद मजबूत अल नीनो प्रभाव देखने को मिल सकता है, जिसकी वजह से मौसम में ऐतिहासक बदलाव देखने को मिलेंगे। इसे 'सुपर अल नीनो' कहा जा रहा है। आइए जानते हैं ये क्या होता है और क्या भविष्यवाणी है।
सबसे पहले जानें NOAA ने क्या भविष्यवाणी की
NOAA के मुताबिक, 2024 में मजबूत अल नीनो की संभावना 75 से 80 प्रतिशत तक है। इस दौरान भूमख्यरेखीय समुद्री सतह का तापमान औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो सकता है। इस बात की 30 प्रतिशत संभावना है कि तापमान 2 डिग्री तक बढ़ सकता है। NOAA का कहना है कि 30 से 33 प्रतिशत संभावना है कि ये प्रभाव 'ऐतिहासिक रूप से मजबूत' हो सकता है और सुपर अल नीनो प्रभाव में बदल सकता है।
क्या होता है अल नीनो?
अल नीनो एक तरह की मौसमी घटना है, जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का पानी सामान्य से अधिक गर्म होने लगता है। इसके चलते पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं और गर्म पानी पूर्व यानी अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर जाने लगता है। आमतौर पर ये 2 से 7 साल तक के अनियमित अंतराल पर होता है।
सुपर अल नीनो क्या होता है?
अल नीनो में समुद्री सतह का तापमान औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है। जब ये तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है तो इसे स्ट्रॉन्ग या मजबूत अल नीनो कहा जाता है। जब समुद्री सतह का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो जाता है तो इसे सुपर अल नीनो कहा जाता है। 1997-98 और 2015-16 में भी सुपर अल नीनो देखने को मिल चुका है। तब कहीं अत्यंत बारिश तो कहीं सूखा पड़ा था।
क्या होगा सुपर अल नीनो का असर?
सुपर अल नीनो का असर किसी एक खास जगह पर न होकर पूरी दुनिया पर होता है। इसकी वजह से कुछ इलाकों में भीषण सूखा तो कुछ इलाकों में भारी बारिश होती है। इसका दुनियाभर के खाद्य उत्पादन, जल संसाधन, मानव आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव होता है। हालांकि, इसकी वजह से कुछ सकारात्मक घटनाएं भी होती हैं, जैसे- अटलांटिक महासागर में तूफान की घटनाओं में कमी आती है।
भारत पर क्या होगा सुपर अल नीनो का प्रभाव?
भारत पर इसका सबसे बड़ा असर मानसून पर पड़ेगा। इसकी वजह से कुछ जगहों पर भीषण सूखा पड़ सकता है। पिछले 100 सालों में भारत में 18 बार सूखे जैसी स्थिति बनी है, जिनमें से 13 का संबंध अल नीनो प्रभाव से रहा है। इस साल अल नीनो की वजह से भारत में असामान्य बारिश देखने को मिली है। दलहन का रकबा 9 प्रतिशत कम हो गया है और लगभग 8.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसल प्रभावित हुई है।
भारत में कब-कब देखा गया अल नीनो का प्रभाव?
2001 से 2020 के बीच देश में 7 बार अल नीनो का प्रभाव देखा गया। इन 7 में से 4 बार (2003, 2005, 2009-10 और 2015-16) में देश में सूखे की स्थिति पैदा हो गई थी। इस दौरान खरीफ की फसलों के उत्पादन में क्रमश: 16 प्रतिशत, 8 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। इसका असर देशभर में मंहगाई बढ़ने के रूप में सामने आया था। इस बार भी ऐसा होने की संभावना है।
न्यूजबाइट्स प्लस
अल नीनो के विपरीत प्रभाव को ला नीना कहा जाता है। इसमें पूर्व से बहने वाली हवाएं तेज गति से चलने लगती हैं, जिस वजह से समुद्री सतह का तापमान कम हो जाता है। इससे एशिया की तरफ गर्म पानी पहुंचने लगता है और अमेरिका के पश्चिमी तट पर ठंडा पानी बहने लगता है। आमतौर पर इसके कारण भारत में बारिश ज्यादा होती है और सामान्य से अधिक सर्दी पड़ती है।