#NewsBytesExplainer: क्या है छत्तीसगढ़ में हुआ 5,000 करोड़ रुपये का कथित महादेव ऐप घोटाला?
क्या है खबर?
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले छत्तीसगढ़ में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप के जरिए हुए इस घोटाले की रकम करीब 5,000 करोड़ बताई जा रही है।
इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) 21 अगस्त से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों में छापेमार कार्रवाई कर रहा है। अब तक मुख्यमंत्री के करीबी समेत 4 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।
आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
धंधा
कैसे चलता था सट्टेबाजी का धंधा?
ED के मुताबिक, महादेव ऑनलाइन बुक नामक कंपनी पोकर, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और अन्य खेलों में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। इसके लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेबसाइट बनाई गई है।
यहां पर खिलाड़ियों के पास सट्टे के पैसे लगाने का विकल्प होता है, जो बेनामी खातों में जमा होते हैं। खिलाड़ियों को इन्हीं बेनामी खातों से जीती हुई रकम भेजी भी जाती थी। इस पूरे धंधे को दुबई से संचालित किया जा रहा था।
ठगी
खिलाड़ियों के साथ कैसे होती है ठगी?
सट्टा लगाने वाली ऐप और वेबसाइट को इस तरह से बनाया गया है कि इसमें हमेशा वेबसाइट संचालक की जीत होती है।
हालांकि, शुरुआत में लत लगाने के लिए खिलाड़ियों को 500 रुपये का सट्टा लगाने को कहा जाता है। इसमें खिलाड़ी की हार के बावजूद उसे ये पैसे वापिस कर दिए जाते हैं। छोटी रकम में खिलाड़ी को जीत दिलाकर पहले आदत लगाई जाती है। जैसे ही खिलाड़ी बड़ी रकम लगाता है तो वो हार जाता है।
आंकड़े
कितना बड़ा है घोटाला?
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में महादेव ऐप के जरिए 5,000 करोड़ रुपये के लेन-देन हुए हैं। एक साल में करीब 10 लाख लोगों ने ऐप पर 500 से लेकर 5,000 रुपये तक का सट्टा लगाया।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने कहा कि इस रैकेट में 3,033 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था। जांच के बाद अब तक 1,035 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया हैं। इनमें करीब 15.50 करोड़ रुपये जमा है।
खुलासा
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
बता दें कि घोटाले का खुलासा साल 2021 में हुआ था। तब से अब तक छत्तीसगढ़ पुलिस इस मामले में 75 FIR दर्ज कर चुकी है और 429 आरोपियों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 191 लैपटॉप, 858 मोबाइल, और कुल 2.50 करोड़ रुपये की लग्जरी कारें जब्त की हैं।
2022 में इस मामले में ED ने छ्त्तीसगढ़ पुलिस को पत्र लिखकर खातों और लेनदेन की जानकारी मांगी थी।
चर्चा
अभी क्यों चर्चा में है घोटाला?
दरअसल, 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ED ने दबिश दी थी। 23 अगस्त को फिर से ED ने रायपुर और दुर्ग में छापा मारा। ED ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें छत्तीसगढ़ पुलिस के ASI चंद्रभूषण वर्मा, हवाला ऑपरेटर सतीश चंद्राकर, अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी शामिल हैं।
ED ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के घर पर भी छापा मारा था, जिस पर खूब विवाद भी हुआ था।
सरगना
कौन हैं घोटाले के मुख्य सरगना?
ED के मुताबिक, सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल महादेव ऑनलाइन बुक के मुख्य प्रमोटर हैं। ये दोनों दुबई से ऐप संचालित कर रहे हैं और मुनाफे का 80 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखते हैं। दोनों पिछले करीब 2 साल से दुबई में रह रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दोनों के खिलाफ 3 महीने पहले लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया था। ED को शक है कि दोनों ने 5,000 करोड़ रुपये कमाए हैं।
पुलिसकर्मी
गिरफ्तार किए गए पुलिसकर्मी की घोटाले में क्या भूमिका है?
ED के मुताबिक, ASI वर्मा ऐप के सरगनाओं और छत्तीसगढ़ में रसूखदार लोगों के बीच की कड़ी है। उन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य आरोपी को बचाने के लिए 65 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।
इसमें से रायपुर और दुर्ग जिलों के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों को हर महीने 55 लाख रुपये और दुर्ग, रायपुर और खुफिया विभाग में तैनात कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को 75 लाख रुपये भेजे जाते थे।
वर्मा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद के रिश्तेदार हैं।
कारोबारी
गिरफ्तार किए गए 2 कारोबारी कौन हैं?
वर्मा के अलावा ED ने कारोबारी भाइयों अनिल और सुनील दम्मानी को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने ही घोटाले की रकम हवाला के जरिए इधर-उधर पहुंचाई। इसके लिए दोनों भाइयों ने 1 लाख रुपये पर 100 रुपये के कमीशन लिया।
दोनों भाइयों की एक ज्वेलरी की दुकान और पेट्रोल पंप है, जिसका इस्तेमाल हवाला लेनदेन में किया गया। दोनों मुख्य सरगना रवि उप्पल के संपर्क में थे।