कोरोना: इंट्रानेजल वैक्सीन क्या होती है और इसके क्या फायदे हैं?
शुक्रवार को भारत बायोटेक की इंट्रानेजल (नाक से ली जाने वाली) वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल के लिए क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली थी। आज तक बनी अधिकतर वैक्सीनों को बाजू पर लगाया जाता है, लेकिन जब कोई वायरस श्वास नली को प्रभावित करता है तो कई बार उसकी रोकथाम के लिए दूसरी रणनीति अपनाई जाती है। इन सबके बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि इंट्रानेजल वैक्सीन क्या होती है और इसके फायदे क्या हैं।
इंट्रानेजल वैक्सीन किसे कहा जाता है?
जिस वैक्सीन को नाक के जरिये दिया जाता है, उसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। ऐसी वैक्सीन्स के सहारे बड़ी संख्या में लोगों का तेजी से वैक्सीनेशन संभव हो पाता है और कम समय में ज्यादा लोगों को खुराक देने में मदद मिलती है।
इंट्रानेजल वैक्सीन क्यों बनाई जा रही है?
कोरोना वायरस समेत कई वायरस नाक म्यूकोसा (नाक, मुंह और फेफड़ों को जोड़ने वाले टिश्यू) के जरिये इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं। बाजू पर लगाए जाने वाली वैक्सीन की खुराकें म्यूकोसा के पास पर्याप्त मात्रा में इम्युन रिस्पॉन्स पैदा नहीं कर पाती हैं और इसके लिए दूसरी इम्युन सेल्स पर निर्भर करती हैं। वहीं इंट्रानेजल वैक्सीन सीधी म्यूकोसा के पास जाती है, जिससे वायरस के प्रवेश करने की जगह पर एक तरह की सुरक्षा परत बन जाती है।
इंट्रानेजल वैक्सीन का फायदा क्या है?
इंट्रानेजल वैक्सीन की मदद से बड़े वैक्सीनेशन अभियान को सरल बनाया जा सकता है। ये वैक्सीनें सीरिंज और सुईयों की जरूरत खत्म कर देती है। साथ ही इनकी खुराक देने के लिए अलग-अलग प्रशिक्षित लोगों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है और लोग खुद भी नाक के जरिये वैक्सीन की खुराक ले सकते हैं। इससे वैक्सीन के रखरखाव से लेकर इसे लगाने तक की बड़ी मशक्कत बच जाती है।
क्या इसके कोई नुकसान हैं?
जानकारों का कहना है कि जब पोलियो की वैक्सीन को मुंह के जरिये दिया जाने लगा था, तब कई मामलों में लोगों के बीमार होने की घटनाएं सामने आई थीं। इसके अलावा इस बात के बेहद कम सबूत हैं कि नाक या मुंह के जरिये दिए जाने वाली वैक्सीनें ज्यादा प्रभावी साबित होती हैं। पशुओं में वैक्सीनेशन का यह तरीका ज्यादा चलन में है, लेकिन इंसानों में इसकी प्रभावशीलता जांचने के लिए ट्रायल की जरूरत है।
900 लोगों पर होगा भारत बायोटेक की वैक्सीन का ट्रायल
भारत बायोटेक ने 5,000 लोगों पर अपनी नेजल बूस्टर डोज का ट्रायल करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उसे 900 लोगों पर इसका ट्रायल करने की मंजूरी दी गई है। इसमें 50 प्रतिशत वॉलेंटियर कोविशील्ड की खुराक लेने वाले और 50 प्रतिशत कोवैक्सिन की खुराक लेने वाले शामिल होंगे। यदि यह वैक्सीन ट्रायल में प्रभावी परिणाम दिखाती है तो इसे जल्द ही बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो देश में अब तक वैक्सीन की 1,65,04,87,260 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते दिन 60,13,999 खुराकें लगाई गईं। देश में 15 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन हो रहा है।