लांसेट स्टडी में 77.8 प्रतिशत प्रभावी पाई गई कोवैक्सिन, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत कारगर
भारत बायोटेक की स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' लक्षण वाले संक्रमण के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभावी है। प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका 'द लांसेट' में प्रकाशित एक स्टडी में ये बात सामने आई है। स्टडी में कोवैक्सिन को बेहद संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। हालांकि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावशीलता का ये विश्लेषण अभी अंतरिम है और इसकी पुष्टि करने के लिए अधिक समीक्षा की जरूरत है।
भारत बायोटेक और ICMR ने हजारों लोगों पर की स्टडी
लांसेट में प्रकाशित इस स्टडी को भारत बायोटेक और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने नवंबर, 2020 से मई, 2021 के बीच भारत में 18-97 साल उम्र के 24,419 लोगों पर किया था। स्टडी के नतीजों में कहा गया है कि कोवैक्सिन दूसरी खुराक के दो हफ्ते बाद प्रभावी एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करने में कामयाब रही। वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित भी पाया गया और ट्रायल के दौरान कोई भी मौत या अप्रिय घटना दर्ज नहीं की गई।
कोवैक्सिन पर उठ रहे सवालों को विराम दे सकती है स्टडी
लांसेट में प्रकाशित यह स्टडी कोवैक्सिन की प्रभावशीलता को लेकर उठ रहे सवालों को विराम दे सकती है। तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हुए बिना वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद ये सवाल उठना शुरू हुए थे, हालांकि इस बीच भारत में इसका इस्तेमाल जारी रहा और कंपनी और सरकार दोनों कोवैक्सिन को असरदार बताते रहे। अब ये स्टडी प्रकाशित होने के बाद अन्य देशों में वैक्सीन की मंजूरी का रास्ता साफ होगा और इसकी सप्लाई की जा सकेगी।
कोवैक्सिन को मिल चुकी है WHO से मंजूरी
बता दें कि कोवैक्सिन को पिछले बुधवार को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। WHO ने तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) की सिफारिश के आधार पर ये मंजूरी दी है। इस मंजूरी के साथ ही दुनियाभर के तमाम देशों में कोवैक्सिन के इस्तेमाल और इसे लगवा चुके लोगों की यात्रा का रास्ता खुल गया है। अभी तक कुल 17 देश कोवैक्सिन को अपने यहां मंजूरी दे चुके हैं।
भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। भारत के अलावा अन्य कुछ देशों में भी इसका इस्तेमाल हुआ है। वैक्सीन गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी है।