भारत बायोटेक की नाक द्वारा दी जाने वाली बूस्टर डोज को मिली ट्रायल को मंजूरी
भारत इस समय कोरोना वायरस के बेहर संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहा है। महमारी से बचाव के लिए देश में प्रिकॉशन डोज के रूप में बूस्टर डोज भी दी जा रही है। ऐसे में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक की नाक द्वारा दी जाने वाली (नेजल) वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल के लिए क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी है।
भारत बायोटेक ने पिछले महीने भेजा था प्रस्ताव
बता दें कि देश में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स सहित 60 साल से अधिक उम्र के कॉ-मॉरबिडिटी वाले लोगों को 'प्रिकॉशन डोज' दिए जाने की घोषणा के बाद भारत बायोटेक ने DCGI से अपनी नेजल वैक्सीन को इसमें इस्तेमाल के लिए ट्रायल की मंजूरी मांगी थी। उस दौरान कंपनी ने कहा था कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन की दोनों खुराक ले चुके लोगों को बूस्टर डोज देने के लिए उनकी नेजल वैक्सीन अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।
DCGI की विशेषज्ञ कमेटी ने की थी मंजूरी देने की सिफारिश
इस महीने की शुरुआत में DCGI की विषय विशेषज्ञ कमेटी (SEC) ने भारत बायोटेक की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर चर्चा की थी। उसमें समिति ने कंपनी की नेजल वैक्सीन को प्रभावी मानते हुए DCGI से उसे बूस्टर डोज में इस्तेमाल करने के लिए उसके दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनकल ट्रायल के मंजूरी देने की सिफारिश की थी। इसके बाद DCGI ने अब भारत बायोटेक की इस बूस्टर नेजल वैक्सीन को ट्रायल की मंजूरी दे दी है।
900 लोगों पर किया जाएगा नेजल वैक्सीन का ट्रायल
कंपनी ने DCGI से 5,000 लोगों को अपनी नेजल बूस्टर डोज का ट्रायल करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अब उसे 900 लोगों पर इसका ट्रायल करने की मंजूरी दी गई है। इसमें 50 प्रतिशत वॉलेंटियर कोविशील्ड की खुराक लेने वाले और 50 प्रतिशत कोवैक्सिन की खुराक लेने वाले शामिल होंगे। यदि यह वैक्सीन ट्रायल में प्रभावी परिणाम दिखाती है तो इसे मार्च तक बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
कैसे काम करती है नेजल वैक्सीन?
बता दें कि भारत बायोटेक ने कोरोना महामारी के खिलाफ नोवेल एडेनोवायरस वेक्टर पर आधारित BBV154 नाम से नेजल वैक्सीन तैयार की है। यह lgG म्यूकोसल lgA और टी सेल्स रिस्पांस को बेअसर करने के लिए इम्यून सिस्टम तैयार करती है। खास बात यह है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण और उसके प्रसार दोनों को रोकने में कारगर है। इसी वैक्सीन में सिरिंज की आवश्यकता नहीं होने के कारण इसमें चोट और संक्रमण का खतरा बहुत कम रहता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' वैक्सीन को DCGI ने गुरुवार को पूर्ण इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी का मतलब है कि अब इन दोनों वैक्सीनों को सीधे बाजार में बेचा जा सकेगा। हालांकि अभी ये दुकानों पर उपलब्ध नहीं होंगी और लोग इन्हें अस्पतालों और क्लीनिक्स से खरीद सकेंगे। इसी बीच अब भारत बायोटेक की बूस्टर नेजल वैक्सीन को ट्रायल मिलना अच्छा संकेत है।