कोवैक्सिन की आपूर्ति बढ़ाएगी भारत बायोटेक, इस साल 100 करोड़ खुराकें के उत्पादन का लक्ष्य
देश में आज से 15 से 18 साल के किशोरों का वैक्सीेनेशन शुरू हो गया है। फिलहाल इसके लिए केवल भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी ने इस साल 100 करोड़ खुराकें बनाने का लक्ष्य रखा है। भारत बायोटेक अभी सरकार को हर महीने 5-6 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करती है, जिसे मार्च तक बढ़ाकर हर महीने 7-8 करोड़ कर दिया जाएगा। उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
दो प्लांट्स में होगा वैक्सीन का उत्पादन
न्यूज18 के अनुसार, भारत बायोटेक अपने हैदराबाद और अंकलेश्वर प्लांट में वैक्सीन का उत्पादन करेगी, जबकि बेंगलुरू और पुणे प्लांट में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट (API) का निर्माण होगा, जो वैक्सीन का मुख्य तत्व होता है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि देश के वैक्सीनेशन अभियान में योगदान देने के लिए भारत बायोटेक अपनी रणनीति के साथ पूरी तरह तैयार हैं। कंपनी लगातार निवेश के साथ अपने संयंत्रों को उन्नत बनाती रहेगी।
अब तक लगाई गईं कोवैक्सिन की 15.7 करोड़ खुराकें
प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी चरणबद्ध तरीके से उत्पादन बढ़ा रही है और अभी तक लक्ष्य हासिल करने के रास्ते पर हैं। कंपनी ने इस साल कोवैक्सिन की 100 करोड़ खुराकें बनाने का लक्ष्य रखा है। देश में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में अब तक कोवैक्सिन की 15.7 करोड़ खुराकें लगाई गई हैं। बता दें कि देश के वैक्सीनेशन अभियान में कोवैक्सिन के अलावा कोविशील्ड और रूस में बनी स्पूतनिक-V का इस्तेमाल किया जा रहा है।
15-18 आयुवर्ग के लिए चाहिए होंगी 15 करोड़ खुराकें
जानकारी के अनुसार, देश में आज से शुरू हुए 15-18 आयुवर्ग के वैक्सीनेशन के लिए 15 करोड़ खुराकों की जरूरत होगी। देश में इस आयुवर्ग के करीब 7.5 करोड़ किशोर हैं। आगे चलकर दूसरी वैक्सीन का इस्तेमाल भी शुरू हो सकता है।
2-18 साल तक के बच्चों में पूरी तरह सुरक्षित है कोवैक्सिन
भारत बायोटेक ने पिछले महीने कहा था कि कोवैक्सिन दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में 2 से 18 साल तक के बच्चों में सुरक्षित, सहनशील और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली पाई गई है। कंपनी ने कहा कि ट्रायल में पूरी तरह से स्वस्थ 525 बच्चों को इसमें शामिल किया गया था। इनमें से 12-18 साल के 176 तथा 6-12 और 2-6 साल के 175-175 बच्चें शामिल थे। ट्रायल के दौरान कुछ बच्चों में हल्के साइड इफेक्ट्स नजर आए थे।
पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है कोवैक्सिन
भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। वैक्सीन को वयस्कों पर गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत और और बिना लक्षणों वाले कोविड के खिलाफ 63 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था।