
गुजरात पुलिस की GP-DRASTI परियोजना क्या है, जिसमें ड्रोन बनेंगे मुख्य हथियार?
क्या है खबर?
गुजरात पुलिस ने राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ अपराध और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए 4 अप्रैल को GP-DRASTI (गुजरात पुलिस - ड्रोन रिस्पांस और एरियल सर्विलांस टैक्टिकल इंटरवेंशन) नामक एक महत्वपूर्ण परियोजना शुरू करने की घोषणा की है।
इसके तहत राज्य के प्रमुख शहरों की सड़कों पर होने वाले हादसों और हिंसा की घटनाओं में त्वरित कार्रवाई के लिए क्वाडकॉप्टर ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।
आइए जानते हैं यह परियोजना क्या है।
परियोजना
क्या है GP-DRASTI परियोजना?
GP-DRASTI परियोजना पूरी तरह से तकनीक पर आधारित है। इसमें प्रमुख शहरों के पुलिस स्टेशनों पर ड्रोन की तैनाती की जाएगी।
ये ड्रोन स्थानीय पुलिस के लिए त्वरित प्रतिक्रिया में मदद करने के साथ किसी भी हिंसक घटना में साक्ष्य एकत्र करने में भी मदद करेंगे।
इसी तरह क्षेत्र में हिंसात्मक अपराध करने वालों की भी पहचान भी आसान हो सकेगी। विशेष रूप से गैंगवार जैसी घटनाओं में आवश्यक पुलिस कार्रवाई में भी ये खासे मददगार साबित होंगे।
उद्देश्य
क्या है GP-DRASTI परियोजना का उद्देश्य?
परियोजना का मुख्य उद्देश्य गुजरात में होने वाली किसी भी घटना में पुलिस के प्रतिक्रिया समय को कम करना और कार्रवाई को अधिक प्रभावी बनाना है।
पुलिस महानिदेशक (DGP) विकास सहाय के अनुसार, वर्तमान में राज्य में कोई घटना होने पर त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस पब्लिक कॉल रिस्पांस (PCR) वैन उपलब्ध है, लेकिन उसे मौके पर पहुंचने में समय लगता है। ऐसे में पुलिस ने इस समय को कम करने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का निर्णय किया है।
कार्य
परियोजना में किस तरह होगा काम?
DGP सहाय के अनुसार, जब कंट्रोल रूम पर किसी घटना की सूचना आएगी तो अधिकारी न केवल स्थानीय पुलिस को सूचित करेंगे, बल्कि उसी चैनल पर ड्रोन बेस स्टेशन को भी सूचित करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि हवाई और जमीनी दोनों टीमों की एकसाथ तैनाती हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि ड्रोन से प्राप्त वीडियो फुटेज से अधिकारी घटना की मौका स्थिति का पता लगा सकेंगे और उसके हिसाब से समय पर पुलिस बल की अतिरिक्त तैनाती भी हो सकेगी।
जानकारी
ट्रायल में काफी कारगर साबित हुए हैं ड्रोन
परियोजना से जुड़े अधिकारी ने बताया कि सूरत और अहमदाबाद में आयोजित 10 दिवसीय ट्रायल में PCR वैन की तुलना में ड्रोन आधे से भी कम समय में घटनास्थल पर पहुंच गए। कुछ मामलों में तो उन्हें 2 मिनट भी नहीं लगे।
तैनाती
कैसे होगी ड्रोन की तैनाती?
परियोजना अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन के इस्तेमाल के लिए विशेष तरह का सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, जिसमें संबंधित थाना क्षेत्र का पूरा ऑनलाइन नक्शा मौजूद है।
ऐसे में किसी भी क्षेत्र में घटना की सूचना मिलने पर ड्रोन को सीधे निकटतम लैंडमार्क (लक्ष्य बिंदु) की ओर जाने की कमांड दी जा सकेगी।
इसी तरह सॉफ्टवेयर के जरिए ड्रोन घटनास्थल के बेहद करीब पहुंचाकर मौके की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
शुरुआत
पहले चरण में 4 जिलों के 33 पुलिस थानों में की जाएगी शुरुआत
इस परियोजना के पहले चरण में अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट के 33 पुलिस थानों को शामिल किया गया है।
इनमें अहमदाबाद के 12, सूरत के 9, वडोदरा के 7 और राजकोट के 5 पुलिस थाने शामिल हैं।
ये सभी अपेक्षाकृत उच्च अपराध दर वाले क्षेत्र हैं। यहां गंभीर हमला, दंगा, गैरकानूनी सभा, सड़क पर हिंसा, हथियारों का प्रदर्शन, भीड़ द्वारा हत्या करना जैसे अपराध आम हैं।
इसके बाद पूरे राज्य में यह परियोजना लागू की जाएगी।
संख्या
कितने ड्रोन होंगे तैनात?
इस परियोजना के पहले चरण में 33 पुलिस थानाें के लिए 33 ड्रोन तैनात किए जाएंगे। तकनीकी सेवाओं के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) ने एस्टेरिया एयरोस्पेस फर्म से 8 ड्रोन खरीद लिए हैं और 25 ड्रोन भी जल्द ही मिल जाएंगे।
प्रत्येक ड्रोन को दो व्यक्तियों की टीम दूर से संचालित करेगी, जिसमें एक ड्रोन का नियंत्रक होगा और दूसरा पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र से परिचित व्यक्ति होगा।
शुरुआत प्रत्येक थाने के 2 कर्मचारियों को गांधीनगर में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
क्षमता
कैसी होगी तैनात होने वाले ड्रोन की क्षमता?
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना में शामिल क्वाडकॉप्टर ड्रोन को जमीन से 120 मीटर की ऊंचाई पर उड़ाया जाएगा।
यह एक बार में 45 मिनट तक उड़ान भर सकेंगे। बड़े क्षेत्र को कवर करने के लिए दूसरे पुलिस थानों से रिप्लेसमेंट ड्रोन तैनात किए जा सकेंगे।
ड्रोन को 4 किलोमीटर की दूरी से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, किसी भी पुलिस स्टेशन का अधिकार क्षेत्र इतना बड़ा नहीं है। ड्रोन बेस स्टेशन पुलिस स्टेशन में ही स्थापित होगा।
गुणवत्ता
कैसी होगी ड्रोन की पिक्चर क्वालिटी?
ड्रोन कैमरे 1 किलोमीटर तक जूम कर सकते हैं और 700 मीटर की दृश्य सीमा पर अच्छे परिणाम देने में सक्षम हैं। इनमें वीडियो आउटपुट भी अच्छे हैं।
इनमें नाइट विजन की भी क्षमता है, जो दिन-रात दोनों स्थिति में अच्छे परिणाम दे सकेंगे। ड्रोन पेड़ों और झाड़ियों के बीच भी लक्ष्य पर नजर रख सकेंगे।
इसी तरह ड्रोन में लगा एरियल आईडी सिस्टम भरी भीड़ में भी आरोपी की आसानी से पहचान करने में सक्षम होगा।