
चीन के शहर में ब्यूबोनिक प्लेग महामारी का अलर्ट जारी, जानें कितनी खतरनाक है
क्या है खबर?
ब्यूबोनिक प्लेग का एक संदिग्ध मामला सामने आने के बाद उत्तरी चीन के एक शहर में अलर्ट जारी किया गया है। चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार, आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में स्थित बयन्नुर शहर के एक अस्पताल में ये मामल सामने आया है, जिसके बाद शहर में तीसरे स्तर का अलर्ट जारी किया गया है। ये अलर्ट 2020 के अंत तक रहेगा।
ब्यूबोनिक प्लेग आखिर क्या होता है और ये कितना खतरनाक है, आइए जानते हैं।
प्लेग
क्या है ब्यूबोनिक प्लेग?
ब्यूबोनिक प्लेग एक संक्रामक बीमारी है जो 'यरसिनिया पेस्टिस' नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। ये एक जूनोटिक बीमारी है यानि ये जानवरों से इंसानों में फैल सकती है।
प्लेग का बैक्टीरिया चूहों और उनके पिस्सुओं से इंसानों में फैलता है। संक्रमित चूहे का मांस खाने, संक्रमित चूहों या सामग्री के सीधे संपर्क में आने या संक्रमित चूहों के पिस्सुओं काटने से इंसान प्लेग के बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है।
इंसानी संपर्क के जरिए प्लेग फैलना बेहद दुर्लभ है।
लक्षण
ये हैं ब्यूबोनिक प्लेग के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ब्यूबोनिक प्लेग इंसान के शरीर में अपना असर दिखाने में तीन से सात दिन का समय लेता है और अगर समय पर इलाज न मिले तो इससे संक्रमित 30 से 100 प्रतिशत लोग मर सकते हैं।
इसके लक्षणों में अचानक से तेज बुखार आना, शरीर और सिर में दर्द, कमजोरी और उल्टी आदि शामिल हैं। शरीर में कई जगह पर लिंफ नोड्स में सूजन, जलन और दर्द इसका मुख्य लक्षण है।
रोग
ऐसे शरीर के अंदर काम करता है प्लेग का बैक्टीरिया
ब्यूबोनिक प्लेग का बैक्टीरिया शरीर में दाखिल होने के बाद लिम्फैटिक सिस्टम के जरिए लिम्फ नोड्स तक पहुंचता है, जहां ये खुद की संख्या बढ़ाना शुरू करता है। इससे लिम्फ नोड्स में गांठ हो जाती है जिनमें हर समय जलन और दर्द होता रहता है।
इस गांठ को अंग्रेजी में 'ब्यूबो' कहा जाता है और इसी से इस बीमारी को अपना नाम मिला है।
बीमारी के आखिरी चरणों में लिम्फ नोड्स मवाद से भरे खुले घावों में बदल जाते हैं।
जानकारी
फेफड़ों में पहुंचने पर खतरनाक हो जाता है ब्यूबोनिक प्लेग
कई बार ब्यूबोनिक प्लेग फेफड़ों में भी फैल जाता है और ज्यादा घातक निमोनिक प्लेग का रूप ले लेता है। ये प्लेग का दूसरा प्रकार है और ये एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकता है।
इतिहास
14वीं शताब्दी में आया था सबसे खतरनाक ब्यूबोनिक प्लेग
इतिहास में पहले भी कई बार ब्यूबोनिक प्लेग फैल चुका है। सबसे घातक प्लेग 14वीं शताब्दी के मध्य में फैला था जिसे 'ब्लैक डेथ' के नाम से भी जाना जाता है। इसका सबसे ज्यादा असर यूरोप में देखने को मिला था जहां लगभग एक तिहाई आबादी यानि पांच करोड़ से अधिक लोगों की इससे मौत हुई थी।
हालिया समय में 2010-2015 के बीच ब्यूबोनिक प्लेग के 3,200 से अधिक मामले आए हैं जिनमें से 584 की मौत हुई है।
उपचार
जल्दी इलाज शुरू होने पर हो सकता है प्लेग का उपचार
इलाज में देरी होने पर प्लेग एक बेहद खतरनाक बीमारी है, लेकिन अगर शुरूआती चरण में भी इलाज शुरू कर दिया जाए तो ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं। एंटी-बायोटिक दवाओं की मदद से प्लेग का इलाज किया जा सकता है और मरीजों का ठीक होना आम बात है।
जल्दी और सफल इलाज के लिए WHO संदिग्ध मरीजों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य केंद्र पर रिपोर्ट करने और इलाज शुरू कराने की सलाह देता है।
बयान
चीन ने क्या अलर्ट जारी किया है?
चीन के बयन्नुर में जारी मौजूदा अलर्ट में स्वास्थ्य प्रशासन ने कहा है, "वर्तमान में शहर में प्लेग महामारी फैलने का खतरा है। लोगों को आत्मरक्षा के लिए अपनी जागरुकता और क्षमता बढ़ानी चाहिए और असामान्य स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में तत्काल सूचना देनी चाहिए।"
अन्य मामले
1 जुलाई को भी सामने आए थे ब्यूबोनिक प्लेग के दो मामले
बता दें कि इससे पहले 1 जुलाई को भी पश्चिम मंगोलिया के खोड प्रांत में ब्यूबोनिक प्लेग के दो संदिग्ध मामले सामने आए थे, जिनकी अब पुष्टि हो चुकी है। इनमें 27 वर्ष का एक शख्स और उसका 17 वर्षीय भाई शामिल है और उनका अलग-अलग अस्पताल में इलाज चल रहा है।
दोनों भाईयों ने एक चूहे का मांस खाया था। उनके संपर्क में आने वाले 146 लोगों को आइसलोट कर दिया गया है और उनका इलाज जारी है।