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    रोहिंग्या मुसलमानों को दिल्ली में फ्लैट दिए जाने से संंबंधित पूरा विवाद क्या है?
    दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिमों को फ्लैट प्रदान करने का क्या मामला है?

    रोहिंग्या मुसलमानों को दिल्ली में फ्लैट दिए जाने से संंबंधित पूरा विवाद क्या है?

    लेखन मुकुल तोमर
    Aug 17, 2022
    07:36 pm

    क्या है खबर?

    रोहिंग्या मुस्लिमों को दिल्ली में फ्लैट देने पर केंद्र सरकार ने महज 12 घंटे के अंदर ही यू-टर्न ले लिया है। सुबह केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को फ्लैट प्रदान करेगी, वहीं अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि सरकार की रोहिंग्याओं को फ्लैट देने की कोई योजना नहीं है।

    हालांकि अभी भी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।

    शरणार्थी

    सबसे पहले जानें कौन होते हैं रोहिंग्या मुसलमान

    रोहिंग्या मुस्लिमों को दुनिया का सबसे ज्यादा प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय माना जाता है।

    म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है, लेकिन वहां की सरकार उन्हें अपना नागरिक नहीं मानती और कहती है कि वो अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं।

    रोहिंग्या की बहुलता वाले रखाइन इलाके में 2012 से उनके खिलाफ हिंसा जारी है।

    वहां से प्रताड़ना का शिकार होकर इनमें से कुछ लोग बांग्लादेश और भारत में बस गए हैं।

    पहला ऐलान

    रोहिंग्याओं को फ्लैट देने के संबंध में क्या ऐलान किया गया था?

    आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने आज सुबह ट्वीट करते हुए जानकारी दी थी कि सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए बने फ्लैट्स में शिफ्ट किया जाएगा।

    उन्होंने इन सभी रोहिंग्या मुस्लिमों को मूलभूत सुविधाएं और 24 घंटे पुलिस सुरक्षा दिए जाने की जानकारी भी दी थी। इसके अलावा उन्हें संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHRC) का शरणार्थी कार्ड भी प्रदान किया जाना था।

    आंकड़े

    दिल्ली में कुल कितने रोहिंग्या और उन्हें कितने फ्लैट मिलने थे?

    समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, दिल्ली के मदनपुर खादर स्थित कैंप में लगभग 1,100 रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं और इन सभी को बक्करवाला गांव स्थित 250 EWS फ्लैट्स में शिफ्ट किया जाना था।

    दिल्ली सरकार को इन फ्लैट्स में बुनियादी सुविधाओं की व्यस्था करने का कहा गया था।

    रिपोर्ट के अनुसार, अभी मदनपुर खादर में रोहिंग्याओं के टेंट पर दिल्ली सरकार के सात लाख रुपये मासिक खर्च होते हैं और इसी कारण उसने एक बैठक में ये प्रस्ताव रखा था।

    यू-टर्न

    अब गृह मंत्रालय ने क्या कहा?

    पुरी के बयान और मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि उसने अवैध रोहिंग्या प्रवासियों को बक्करवाला में EWS फ्लैट प्रदान करने का कोई निर्देश नहीं दिया है।

    उसने दिल्ली सरकार को सभी अवैध रोहिंग्याओं को मदनपुर खादर स्थित उनके मौजूदा पते पर ही रखने का निर्देश दिया है क्योंकि वह विदेश मंत्रालय के जरिए पहले ही इन अवैध रोहिंग्याओं को निर्वासित करने का मुद्दा उठा चुका है।

    संशय

    मामले पर अभी भी संशय क्यों बरकरार है?

    गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि निर्वासित किए जाने तक अवैध रोहिंग्याओं को कानून मुताबिक डिटेंशन कैंप में ही रखना है।

    मंत्रालय ने अपने पूरे बयान में "अवैध रोहिंग्या" शब्द का इस्तेमाल किया है, वहीं पुरी और ANI की रिपोर्ट में UNHRC कार्ड धारक रोहिंग्या मुसलमानों की बात की है।

    ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि केवल अवैध रोहिंग्याओं को फ्लैट नहीं दिए जाएंगे या किसी भी रोहिंग्या शरणार्थी को फ्लैट नहीं दिए जाएंगे।

    UNHRC

    न्यूजबाइट्स प्लस

    UNHRC संयुक्त राष्ट्र (UN) की शरणार्थी संस्था है जो सुनिश्चित करती है कि हिंसा, अत्याचार, युद्ध या आपदा के कारण अपना देश छोड़कर भागे लोगों को दूसरे देशों में शरण मिले। यह संस्था 1950 से इस दिशा में काम कर रही है।

    इसका एक शरणार्थी समझौता भी है जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को उस देश में वापस निर्वासित नहीं किया जा सकता जहां उस पर अत्याचार हुआ है। हालांकि भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

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