दिल्ली जल बोर्ड ने वापस लिया रमजान में मुस्लिमों को 2 घंटे के ब्रेक का आदेश
दिल्ली जल बोर्ड ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को प्रतिदिन दिए जाने वाले दो घंटे के ब्रेक के आदेश को वापस ले लिया है। मंगलवार को जारी किए गए सर्कुलर में जल बोर्ड ने इस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की बात कही। बोर्ड ने सोमवार यानि 4 अप्रैल को ही ये आदेश जारी किया था और अब एक दिन के अंदर ही इसे वापस ले लिया गया है।
सर्कुलर में क्या कहा गया?
मंगलवार को जारी किए गए अपने सर्कुलर में दिल्ली जल बोर्ड ने कहा, "4 अप्रैल, 2022 को रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को शॉर्ट लीव (प्रतिदिन लगभग दो घंटे) देने का सर्कुलर जारी किया गया था। अब सक्षम प्राधिकारी ने अपने आदेश द्वारा इस सर्कुलर को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला लिया है।" नए सर्कुलर में पुराने सर्कुलर को वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया है।
मुस्लिम कर्मचारियों को 2 मई तक मिलनी थी शॉर्ट लीव
इससे पहले सोमवार को जारी किए सर्कुलर में दिल्ली जल बोर्ड ने कहा था कि रमजान को देखते हुए 3 अप्रैल से 2 मई या ईद उल-फितर तक मुस्लिम कर्मचारियों को लगभग दो घंटे की शॉर्ट लीव देने का फैसला लिया गया है। इस शॉर्ट लीव के साथ शर्त लगाई गई थी कि मुस्लिम कर्मचारियों को ऑफिस के बाकी के घंटों में अपना काम निपटाना होगा ताकि ऑफिस का काम प्रभावित न हो।
दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है दिल्ली जल बोर्ड
बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के अंतर्गत आता है और सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन इसके चेयरमैन हैं। दिल्ली सरकार को रमजान पर शॉर्ट लीव के इस फैसले के कारण सोशल मीडिया पर सवालों का सामना करना पड़ा था और इसे वापस लेने का इससे संबंध हो सकता है। हालांकि सरकार को राहत नहीं है और आदेश वापस लेने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
क्या होता है रमजान?
रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है और इसे सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने के सभी दिन मुस्लिम सूरज उगने से सूरज छिपने तक उपवास रहते हैं। इसके अलावा वो जकात के रूप में समाज को दान भी देते हैं।
मु्स्लिमों के पहनावे, रीति-रिवाजों और व्यवसायों को बनाया जा रहा निशाना
बता दें कि देशभर में मु्स्लिमों के त्योहारों, पहनावे और व्यवसायों के खिलाफ एक अभियान सरीका चलाया जा रहा है। सबसे पहले कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर सवाल उठाए गए। इसके बाद कर्नाटक में ही मंदिर परिसरों में चल रही मुस्लिमों की दुकानों को बंद कर दिया गया। धीरे-धीरे ये अभियान देशभर में फैल गए और अब हलाल मीट से लेकर लाउडस्पीकरों से अजान पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की जा रही है।