केंद्र सरकार ने श्रीलंका संकट पर बुलाई सर्वदलीय बैठक, सीतारमण और जयशंकर देंगे जानकारी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। ये बैठक 19 जुलाई यानि मंगलवार को होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे और सभी पार्टियों को पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे।
मीडिया को बैठक की जानकारी देते हुए संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार नियम और प्रक्रियाओं के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
मदद
लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है भारत
बता दें कि संकट के इस समय में भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है। एस जयशंकर के अनुसार, भारत अब तक श्रीलंका को 3.8 अरब डॉलर की मदद दे चुका है या इसका वादा किया है।
भारत ने श्रीलंका को ईंधन और राशन भी प्रदान किया है। इसके अलावा उसने श्रीलंकाई किसानों की मदद करने के लिए श्रीलंका को 44,000 मीट्रिक टन यूरिया खाद भी दिया है।
भारत ने राजनीतिक समस्याओं में कोई दखल नहीं दिया है।
आर्थिक संकट
श्रीलंका में क्या हो रहा है?
भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है और वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। देश में ईंधन खत्म हो गया है, जिससे वाहनों की रफ्तार थम गई है। महंगाई भी रिकॉर्ड तोड़ स्तर पर है।
जैविक खेती के सरकार के प्रयोग के कारण किसानी पर भी असर पड़ा है और खाद्य संकट पैदा हो गया है। पर्याप्त उत्पादन न होने के चलते बिजली संकट भी है।
राजनीतिक संकट
जबरदस्त विरोध के बाद राष्ट्रपति को देना पड़ा इस्तीफा
इस आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में लोग पिछले 100 दिन से सड़कों पर हैं और उनके दबाव के कारण गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा है।
इसके अलावा राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रहे राजपक्षे परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा है। इनमें पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे भी शामिल हैं जो सत्ता का वास्तविक केंद्र थे। हाल ही में इस्तीफा देने तक वह प्रधानमंत्री थे।
देश निकाला
देशभर छोड़कर भागे गोटाबाया राजपक्षे
प्रदर्शन के दौरान लोग राष्ट्रपति भवन और अन्य सरकारी कार्यालयों में भी घुस गए थे जिसके कारण गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा।
उन्हें नौसेना के जहाज की मदद से श्रीलंका से बाहर निकाला गया और फिर सेना के एक विमान से मालदीव भेजा गया। कुछ समय यहां रहने के बाद वो सिंगापुर चले गए हैं। सिंगापुर सरकार ने कहा है कि राजपक्षे ने शरण नहीं मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है।
मौजूदा सरकार
रानिल विक्रमसिंघे के हाथों में श्रीलंका की बागडोर
अभी श्रीलंका की सत्ता प्रधानमंत्री