नागरिकता कानून के बाद अब रोहिंग्या को निकालने पर विचार कर रही सरकार
क्या है खबर?
नागरिकता कानून में संशोधन करने के बाद अब केंद्र सरकार रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों के निर्वासन की योजना बना रही है।
केंद्रीय मंंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में रोहिंग्या लोगों की बड़ी आबादी है और सरकार इसे लेकर चिंतित है। इनके निर्वासन की योजना पर काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर कुछ समय पहले विवाद शुरू हुआ था।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
शरणार्थी
कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान?
रोहिंग्या मुसलमान ऐसा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है।
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है, लेकिन वहां की सरकार इन्हें अपना नागरिक नहीं मानती।
इनके बारे में कहा जाता है कि ये अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। रोहिंग्या की बहुलता वाले रखाइन में 2012 से इनके खिलाफ हिंसा जारी है।
वहां से प्रताड़ना का शिकार होकर इनमें से कुछ लोग बांग्लादेश और भारत में बस गए हैं।
बयान
क्या बोले जितेंद्र सिंह?
शुक्रवार को जम्मू में मीडिया से बात करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों की लिस्ट बनाई जाएगी और जरूरत पड़ी तो बायोमेट्रिक सर्टिफिकेट्स भी लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोहिंग्याओं को कोई लाभ नहीं देगा क्योंकि ये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम नहीं हैं। इसलिए उन्हें किसी हिसाब से नागरिकता नहीं मिल पाएगी।
उन्होंने कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि ये लोग म्यांमार से जम्मू कैसे पहुंचे।
जानकारी
पहले भी वापस भेजे जा चुके हैं रोहिंग्या शरणार्थी
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब भारत सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की बात कह रही है। पहले भी कई बार ऐसी बातें कही जा चुकी हैं। एक-दो मौके ऐसे भी आए हैं जब कुछ रोहिंग्याओं को वापस भेजा गया है।
अनुमान
भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की कितनी संख्या?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में लगभग 40,000 रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं।
इनमें से ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों में बसे हैं।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 14,000 ऐसे शरणार्थी हैं, लेकिन गृह मंत्रालय का अनुमान है कि पूरे देश में लगभग 40,000 रोहिंग्या मुसलमान हैं।
इनमें से सबसे ज्यादा लगभग 10,000 जम्मू में रहते हैं।
सवाल
नागरिकता संशोधन कानून से रोहिंग्या को फायदा क्यों नहीं?
संसद के शीतकालीन सत्र में पास हुए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने के प्रावधान किया गया है।
बाकी देशों और बाकी समुदायों को इस कानून से बाहर रखा गया है। इसलिए रोहिंग्या मुसलमानों को इस संशोधित कानून का फायदा नहीं मिलेगा।