कोरोना वायरस: क्या है कम्युनिटी ट्रांसमिशन और क्या यह भारत में शुरू हो गया है?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते प्रकोप के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन (सामुदायिक फैलाव) शुरू हो गया है?
भारत में गुरुवार सुबह तक इसके 171 मामले सामने आ चुके हैं। सरकार का कहना है कि यहां अभी तक कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू नहीं हुआ है।
हालांकि, विशेषज्ञ इससे सहमति नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि भारत में कम लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं, जिससे इसका पता नहीं चला है।
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क्या होता है कम्युनिटी ट्रांसमिशन?
कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब शुरू होता है, जब कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाए, लेकिन यह पता न चले कि वह व्यक्ति संक्रमित कैसे हुआ। यानी जब उसके संक्रमण के स्त्रोत का पता नहीं चलेगा तो इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन माना जाएगा।
अगर कोई ऐसा व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है जो न तो कोरोना वायरस से प्रभावित देशों से लौटा है और न ही किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है तो इसे कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मामला माना जाएगा।
जानकारी
भारत में कोरोना वायरस की क्या स्थिति है?
गुरुवार तक भारत में सामने आए 171 मामले में से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 13 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। महाराष्ट्र में इसके सबसे ज्यादा 45 मामले सामने आए हैं।
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ICMR ने नकारी कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि भारत में अभी तक कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू नहीं हुआ है।
हालांकि, इसने इसके शुरू होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया है।
ICMR ने बुधवार को जानकारी दी कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जांच के लिए उसने 1,020 रैंडम सैंपल लिए थे, जिनमें से 800 की रिपोर्ट्स नेगेटिव आई हैं। बाकी बचे 220 सैंपल की जांच गुरुवार को की जाएगी।
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2-3 सप्ताह पहले शुरू हो चुका है कम्युनिटी ट्रांसमिशन- विशेषज्ञ
वहीं, दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की बात सही नहीं है।
सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकॉनोमिक्स एंड पॉलिसी के डायरेक्टर रामानन लक्ष्मीनारायणन ने कहा कि दूसरे देशों की तरह भारत में दो-तीन सप्ताह पहले इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है।
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, "वायरस के बर्ताव को देखते हुए भारत अपवाद नहीं है। जनसंख्या को देखते हुए हमने पर्याप्त मात्रा में लोगों के टेस्ट नहीं किया है।"
बयान
"पर्याप्त लोगों की नहीं हो रही जांच"
एक और सेहत विशेषज्ञ ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि महामारी के शुरुआती चरण में कम मामले सामने आते हैं, लेकिन एक बार शुरू होने के बाद ये जंगल की आग की तरह फैलते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों की जांच नहीं हो रही है। सभी संदिग्ध लोगों की जांच होनी चाहिए। अगर 80 प्रतिशत लोगों में लक्षण हैं तो 5 प्रतिशत की जांच से कुछ नहीं होगा। बाकी लोग दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
सलाह
विशेषज्ञ क्या करने की सलाह दे रहे हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ज्यादा लोगों की जांच पर ध्यान देना चाहिए। प्राइवेट अस्पतालों में भी जांच शुरू करनी चाहिए। कई लोग ऐसे होते हैं जो सरकारी अस्पतालों पर भरोसा नहीं करते।
लक्ष्मीनारायण ने कहा कि हल्के लक्षण वाले लोगों को घर पर अलग रखना है। भले ही उनमें हल्के लक्षण होते हैं, लेकिन वो दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। उन्होंने भी ज्यादा लोगों के टेस्ट करने की जरूरत बताई है।
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WHO ने भी दी ज्यादा लोगों की जांच की सलाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि लोगों की जांच के लिए सिस्टम को तेज करना होगा। लोगों की तलाश कर उन्हें अलग रखना, उनके टेस्ट करना और उनके संपर्क में आए लोगों को ट्रेस करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश के अस्पतालों को तैयार करने और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और उनकी ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी।
WHO भी अधिक से अधिक लोगोें की जांच की जरूरत बता रहा है।