इंसानी शरीर को कैसे प्रभावित करता है कोरोना वायरस?
दुनिया के ज्यादातर देश इन दिनों कोरोना वायरस (COVID-19) की चुनौती का सामना कर रहे हैं। भारत में भी इसके 74 मामले सामने आ चुके हैं और एक व्यक्ति की मौत हो गई है। वैज्ञानिक इसका इलाज ढूंढने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है। हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें पता चला है कि यह वायरस कैसे इंसानी शरीर को प्रभावित करता है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
रिपोर्ट में है वुहान के 191 मरीजों का विश्लेषण
लान्सेट जर्नल में छपी रिपोर्ट में वुहान के 191 संक्रमित व्यक्तियों में कोरोना वायरस के फैलने और इसके असर का विश्लेषण किया गया है। इसके मुताबिक यह गले के निचले भाग से शुरू होता है और फेफड़ों से होते हुए खून में मिल जाता है।
ऐसे एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है वायरस
वैज्ञानिक मान रहे हैं यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली ड्रॉपलेट के जरिए दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली ड्रॉपलेट के संपर्क में आता है या किसी संक्रमित जगह को छूकर अपनी आंखे, मुंह या नाक पर हाथ रखता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए बार-बार 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथ धोने की सलाह दी जाती है।
प्रोटीन के साथ बंधकर इंफेक्शन फैलाता है वायरस
रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार शरीर में जाने के बाद यह वायरस एक तरह के प्रोटीन के साथ बंधकर श्वसन कोशिकाओं पर पाए जाने वाले एक एंजाइम में घुसता है और फिर इंफेक्शन फैलाता रहता है।
बुखार है शुरुआती लक्षण
वायरस का सबसे शुरुआती लक्षण बुखार है। अगर कोई व्यक्ति इससे संक्रमित पाया जाता है तो पांच दिनों के भीतर उसमें लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। कई मामलों में यह समय 14 दिनों से लेकर 27 दिन भी हो सकता है। लक्षण दिखने के बाद शुरुआती तीन दिनों में यह वायरस गले के निचले हिस्से को निशाना बनाता है, जिसकी वजह से गले में खराश या सूखी खांसी होने लगती है। इसके बाद वायरस श्वसन तंत्र में उतरता है।
80 प्रतिशत मामलों में दिखते हैं हल्के लक्षण
तीसरे-चौथे दिन श्वसन तंत्र में उतरने के बाद संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होना शुरू हो जाती है। जानकारों का कहना है कि लगभग 80 प्रतिशत मामलों में इस तरह के हल्के लक्षण नजर आते हैं। कुछ ही मामलों में लक्षण गंभीर होते हैं और सांस लेने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस वायरस का बर्ताव भी समय-समय पर बदलता रहता है, जिस कारण भी इसकी जड़ तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।
खून में संक्रमण होने से मौत होने की खतरा
श्वसन तंत्र में जाने तक यह वायरस लगातार बढ़ता रहता है और फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इससे फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने लगता है, जिससे न्यूमोनिया हो जाता है। आठवें से 15वें दिन के बीच फेंफड़ों में संक्रमण के कारण व्यक्ति के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कई मामलों में व्यक्ति सांस नहीं ले पाता। इसके बाद यह खून में प्रवेश करता है। इससे भी संक्रमण बढ़ने की संभावना रहती है, जिससे मौत तक हो सकती है।
बुजुर्ग या दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों ज्यादा प्रभावित
जानकारों का कहना है कि संक्रमण के कारण बुजुर्ग, मधुमेह और तनाव आदि से ग्रसित लोगों की मौत होने की संभावना अन्य से ज्यादा है। कुछ लोगों में वायरस के कारण डायरिया जैसे लक्षण भी देखे गए हैं।
बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक क्यों वायरस?
कोरोना वायरस से संक्रमित 3-4 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है। श्वसन तंत्र से शुरू हुआ वायरस खून में भी फैल जाता है, जिसकी वजह से कई अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे संक्रमित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। उम्र बढ़ने के साथ इंसानी शरीर में टी-सेल्स और बी-सेल्स बनना कम हो जाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस वजह से बुजुर्गों के लिए यह वायरस ज्यादा घातक साबित हो रहा है।