
#NewsBytesExplainer: क्या है चिकन नेक कॉरिडोर और भारत के लिए रणनीतिक रूप से कितना अहम है?
क्या है खबर?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया था। वहां उन्होंने चीन से बांग्लादेश में निवेश करने की बात कही और भारतीय सीमा के नजदीक लालमोनिरहाट में वायुसेना का अड्डा बनाने का प्रस्ताव दिया।
यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को जमीन से घिरा हुआ तक बता दिया।
इसके बाद से ही लालमोनिरहाट के पास स्थित चिकन नेक कॉरिडोर चर्चाओं हैं।
आइए आज चिकन नेक के बारे में जानते हैं।
बयान
सबसे पहले जानिए यूनुस ने क्या कहा था?
यूनुस बीते महीने चीन के दौरे पर थे।
वहां उन्होंने कहा था, "भारत के 7 राज्य, भारत के पूर्वी हिस्से, जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत का भूमि से घिरा क्षेत्र है। समंदर तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं है। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। इसलिए यह चीनी अर्थव्यवस्था के लिए विस्तार हो सकता है।"
उन्होंने इस क्षेत्र में बांग्लादेश को समुद्र का 'एकमात्र संरक्षक' भी बताया था।
कॉरिडोर
क्या है चिकन नेक कॉरिडोर?
चिकन नेक को सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहा जाता है। ये पश्चिम बंगाल में स्थित है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है।
यह कॉरिडोर अपने सबसे संकरे बिंदु पर लगभग 22 किलोमीटर चौड़ा है और करीब 60 किलोमीटर लंबा है।
इसकी सीमा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से लगती है। यह 8 राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा को देश के बाकी राज्यों से जोड़ता है।
अहमियत
रणनीतिक तौर पर कितना अहम है चिकन नेक?
नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के अलावा चीन भी यहां से नजदीक है। पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचने का ये एकमात्र रास्ता है। इस वजह से नागरिक और सैन्य उद्देश्यों के चलते चिकन नेक काफी अहम है।
ये व्यापार और पर्यटन का महत्वपूर्ण मार्ग तो है ही, साथ में रेल और सड़क नेटवर्क के केंद्र के रूप में भी काम करता है।
इसी कॉरिडोर के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सटी रणनीतिक सैन्य संरचनाओं तक भारत की पहुंच होती है।
सुरक्षा
भारत चिकन नेक की सुरक्षा के लिए क्या-क्या कदम उठाता रहा है?
2017 में डोकलाम पठार पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध के दौरान चिकन नेक को लेकर कमजोरी सामने आई थी। भारत ने डोकलाम में चीनी सड़क का विरोध किया था।
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि चीन चिकन नेक को अवरुद्ध कर सकता है। इसके बाद भारत ने इस क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस सहित कई बलों को तैनात किया है।
वैकल्पिक मार्ग
भारत पूर्वोत्तर के लिए कैसे वैकल्पिक मार्ग विकसित कर रहा है?
भारत चिकन नेक पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाश रहा है।
1980 के भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते के तहत, भारत बांग्लादेश के माध्यम से दूसरे मार्गों पर काम कर रहा है।
1992 में भारत ने बांग्लादेश को 3 बीघा कॉरिडोर उपयोग करने की अनुमति दी थी, जिससे दहाग्राम-अंगारपोटा तक पहुंच संभव हो गई थी।
बांग्लादेश ने भारत को चटगांव बंदरगाह का उपयोग करने की अनुमति दी थी। इससे भारत को बंगाल की खाड़ी तक पहुंच मिली थी।
जवाब
यूनुस के बयान का भारत ने कैसे दिया जवाब?
9 अप्रैल को भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सेवा को बंद कर दिया था। इसके तहत बांग्लादेश अपने माल को भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS), बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से तीसरे देशों तक ले जाता था।
अब बांग्लादेश अपने माल को भारत के लैंड कस्टम्स का इस्तेमाल कर अन्य देशों तक नहीं भेज सकेगा।
इस फैसले को यूनुस के पूर्वोत्तर को लेकर दिए गए विवादिय बयान से जोड़कर देखा गया।