भूस्खलन के कारण क्या हैं और क्या इनका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है?
क्या है खबर?
केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के बीच मंगलवार सुबह मेप्पाडी के निकट पहाड़ी क्षेत्रों में एक के बाद एक 3 भूस्खलन हुए।
इससे चूरलमाला गांव का अधिकांश हिस्सा तबाह हो गया और करीब 70 लोगों की मौत हो गई।
इसके मलबे में अभी कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है और उन्हें बचाने कार्य जारी है।
इस बीच जानते हैं कि आखिर भूस्खलन क्यों होता है और क्या इसका पूर्वानुमान लगा पाना संभव है।
भूस्खलन
भूस्खलन क्यों होता है?
भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा या घटना है। यह तब होती है जब गुरुत्वाकर्षण बल पहाड़ी या पर्वत की ढलान की मजबूती से अधिक हो जाता है।
इसमें पहाड़ों की ढलान पर मौजूद चट्टानें, रेत, गाद और पथरीली मिट्टी अपने स्थान से खिसकते हुए आगे बढ़ जाती है।
भूस्खलन की औसत गति 260 फीट प्रति सैकंड तक हो सकती है। ऐसे में इसके होने से प्रभावित क्षेत्र में जन और धन दोनों का नुकसान होने का खतरा रहता है।
प्राकृतिक भूस्खलन
भूस्खलन के प्राकृतिक कारण क्या है?
अधिकांश प्राकृतिक भूस्खलन भूकंप और बारिश या फिर दोनों के संयोजन से होते हैं।
भूकंप जमीन को हिलाने के साथ उस पर दबाव डालकर उसे कमजोर कर देते हैं। बारिश का पानी जमीन से रिसकर उसे कमजोर करता है।
मिट्टी में पानी की मात्रा बढ़ने पर उसका वजन बढ़ जाता है और खिसकने लग जाती है।
इसी तरह बारिश के पारी से मिट्टी कटाव तेजी से होता है और यह भी भूस्खलन का एक बड़ा कारण माना जाता है।
मानवीय
भूस्खलन के मानवीय कारण क्या हैं?
भूस्खलन के पीछे कई मानवीय कारण भी जिम्मेदार होते हैं। इनमें वनों की कटाई प्रमुख है।
इससे पहाड़ी क्षेत्रों की ढलान की स्थिरता कमजोर होती है, क्योंकि पेड़ों की जड़ें स्वाभाविक रूप से जमीन को मजबूती देती है और पारी को बाहर निकाल देती हैं।
इसी तरह पहाड़ी क्षेत्रों में अनियोजित बुनियादी ढांचे का निर्माण और खनिज खानों में होने वाले विस्फोट भी भूस्खलन के प्रमुख कृत्रिम कारण हैं। विस्फोटों से उत्पन्न कंपन ढलान क्षेत्रों को कमजोर कर देता है।
आकलन
भूस्खलन के जोखिम को प्रभावी ढंग से कम करना मुश्किल
विशेषज्ञों के अनुसार, भूस्खलन का पूर्वानुमान लगाना और उसे प्रभावी ढंग से रोकना बहुत मुश्किल है।
ढलान की स्थिरता के सटीक आकलन के लिए ऐसे क्षेत्र और उनकी ताकत का मानचित्रण आवश्यक है। भूस्खलन के संकेत के लिए कोई भी सेंसर काम नहीं करता है।
ऐसे में भूवैज्ञानिकों और भू-तकनीकी इंजीनियरों को कुछ चयनित स्थानों से प्राप्त आंशिक जानकारी के आधार पर शेष क्षेत्र का अनुमान लगाना होगा। ऐसे में सटीक पूर्वानुमान लगाना नामुमकिन है।
उपाय
भूस्खलन को रोकने के उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार, भूस्खलन की घटनाओं को वनों की अत्यधिक कटाई रोककर, वृक्षारोपण करके, जल निकासी नियंत्रण के उपाय अपनाकर, भूमि के महत्व के प्रति लोगों में जागरुकता लाकर और तीव्र ढलान की जगह समतल भूमि में कृषि करके कम किया जा सकता है।
इसी तरह स्थानांतरिक कृषि की अपेक्षा स्थायी और सीढ़ीनुमा कृषि प्रणाली अपनाकर और सुरक्षित खड़ी ढलानों का निर्माण कर भूस्खलन के खतरों को कम किया जा सकता है।
इसके लिए सरकार के प्रयास बेहद जरूरी हैं।
प्रभाव
भूस्खलन से बुनियादी ढांचे पर बरपा कहर
बड़े भूस्खलन बुनियादी ढांचे पर बड़ा कहर बरपाते हैं। केरल में भूस्खलन सुबह 2 बजे से 6 बजे के बीच हुआ, जिससे चूरलमाला शहर का एक हिस्सा दुकानों और वाहनों सहित नष्ट हो गया।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस आपदा में 200 से अधिक घर बह गए।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), अग्निशमन दल, पुलिस और स्थानीय आपातकालीन प्रतिक्रिया दल बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। बारिश से बचाव कार्य बाधित हो रहा है।