उपयोग की मंजूरी के लिए विदेशी वैक्सीन कंपनियों को करना होगा भारत में ट्रायल- केंद्र सरकार
क्या है खबर?
कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रही कंपनियों को भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी पाने से पहले इसका देश में स्थानीय ट्रायल करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ इंटरव्यू में कोविड-19 वैक्सीन पर केंद्र सरकार की टास्क फोर्स के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने यह बात स्पष्ट की।
उन्होंने कहा कि भारत में उपयोग की मंजूरी चाह रही किसी भी कंपनी के लिए स्थानीय ट्रायल्स अनिवार्य हैं।
रिपोर्ट
इसलिए लगाई गई है स्थानीय ट्रायल की शर्त
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने स्थानीय ट्रायल की शर्त इसलिए लगाई है क्योंकि वह वैक्सीनों का उपयोग शुरू करने से पहले ये सुनिश्चित करना चाहती है कि ये भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं क्योंकि उनका जेनेटिक मेकअप पश्चिमी देशों के लोगों से अलग हो सकता है।
हालांकि देश के न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 में इन शर्तों को माफ करने का प्रावधान भी किया गया है।
कंपनियां
आवेदन करने वाली तीन कंपनियों में से दो ने किए हैं भारत में ट्रायल
भारत में अभी तक जिन तीन वैक्सीन कंपनियों ने आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया है, उनमें से दो ने भारत में ट्रायल किए हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित 'कोविशील्ड' का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भारत में 1,500 लोगों पर स्थानीय ट्रायल किया है और इसी के बात इसे आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई है।
वहीं भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' पूरी तरह से स्वदेशी है और इसके सभी ट्रायल देश में ही हुई हैं।
तीसरी कंपनी
फाइजर ने नहीं किया है भारत में ट्रायल
मंजूरी के लिए आवेदन करने वाली तीसरी कंपनी फाइजर ने यूं तो भारत में सबसे पहले आवेदन किया था, लेकिन इसने भारत में कोई भी ट्रायल नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फाइजर बिना ट्रायल किए भारत में अपनी वैक्सीन का वितरण करना चाहती थी।
इसके अलावा कंपनी के अधिकारी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति के सामने पेश होने और अपना डाटा प्रस्तुत करने में भी नाकाम रहे। इसी कारण उसे मंजूरी नहीं मिली है।
अन्य वैक्सीन
स्पूतनिक-V भी कर रही भारत में स्थानीय ट्रायल
अब डॉ पॉल के बयान से साफ है कि अगर फाइजर को भारत में अपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी चाहिए तो उसे देश में ही एक स्थानीय ट्रायल करना होगा।
डॉ पॉल ने बताया कि एक अन्य विदेशी कोरोना वैक्सीन रूस की 'स्पूतनिक-V' भी दूसरे चरण का ट्रायल पूरे करने के बाद भारत में तीसरे चरण का ट्रायल कर रही है और जल्द ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती है।
इनडेमिनिटी
वैक्सीन कंपनियों को कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी सरकार
अपने इंटरव्यू में डॉ पॉल ने ये भी साफ किया कि वैक्सीन के उपयोग पर कुछ गलत होने की स्थिति में वैक्सीन कंपनियों को कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए सरकार उन्हें 'हानि से सुरक्षा' (इनडेमिनिटी) प्रदान नहीं करेगी और कानून अपनी तरह से काम करेगा।
बता दें कि SII ने सरकार से इनडेमिनिटी की मांग की थी और कहा था कि कई देश कोविशील्ड को कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान कर चुके हैं।