'कोवैक्सिन' की मंजूरी पर उठे सवाल, भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक ने किया बचाव
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की ओर से रविवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद लोगों में खुशी की लहर है। हालांकि, विपक्ष के नेता स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठा रहे हैं। इस बीच वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने मंजूरी को जायज ठहराते हुए विरोधियों को करार जवाब दिया है।
SEC ने की थी दोनों वैक्सीनों को मंजूरी देने की सिफारिश
बता दें कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने गत शुक्रवार को SII की 'कोविशील्ड' को आपातकालीन मंजूरी देने की सिफारिश की थी। इसके बाद उसने शनिवार को भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को सीमित आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने की सिफारिश की थी। कमेटी की सिफारिशों पर गौर करने के बाद DCGI ने रविवार को दोनों वैक्सीनों के इस्तेमाल की आधिकारिक मंजूरी जारी कर दी।
वैक्सीन को मंजूरी मिलने के साथ ही विपक्ष ने उठाए सवाल
DCGI के दोनों वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, शशि थरूर और जयराम रमेश ने फैसले पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन को तीसरे चरण का ट्रायल पूरा हुए बिना मंजूरी देना खतरनाक साबित हो सकता है। बता दें कि 'कोवैक्सिन' का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है। अभी तक इसके नतीजे नहीं आए। 25,800 लोगों के ट्रायल में अब तक 22,500 लोग शामिल हुए हैं।
वैक्सीन निर्माण में कंपनी के पास है जबदस्त अनुभव- एला
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार एक एला ने कहा, "हम ऐसी कंपनी नहीं हैं, जिसे वैक्सीन निर्माण का अनुभव ना हो। हमारे पास जबरदस्त अनुभव है। हम 123 देशों तक पहुंच रहे हैं। हम एकमात्र ऐसी कंपनी हैं, जिसे व्यापक अनुभव है।" उन्होंने कहा, "हमने केवल भारत ही नही बल्कि 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल ट्रायल्स किए हैं। हम पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में ट्रायल कर रहे हैं। हम केवल भारती कंपनी न होकर वैश्विक कंपनी हैं।"
भारतीय कंपनी की आलोचना करना सही नहीं- एला
ऐला ने कहा, "अब जब टीके का राजनीतिकरण किया जा रहा है, मैं स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है।" उन्होंने कहा, "लोग वैक्सीन की मंजूरी पर सवाल उठा रहे हैं। यह सिर्फ एक भारतीय कंपनी के खिलाफ प्रतिक्रिया है, जो हमारे लिए सही नहीं है। मर्क की इबोला वैक्सीन को ट्रायल के बिना ही WHO ने लाइबेरिया और गिनी के लिए आपात मंजूरी दी थी।"
"200 प्रतिशत सुरक्षित है वैक्सीन"
एला ने कहा, "कोवैक्सिन में 10 प्रतिशत से कम साइड इफेक्ट आए हैं, जबकि अन्य वैक्सीनों में 60-70 प्रतिशत साइट इफेक्ट देखने को मिले हैं। मैं आश्वास्त करना चाहता हूं कि हमारी वैक्सीन 200 प्रतिशत तक सुरक्षित है और चिंता की कोई बात नहीं है।"
'कोवैक्सिन' ने इम्यूनिटी को किया मजबूत- एला
एला ने कहा कि कुछ लोग वैक्सीन के डाटा के पारदर्शी नहीं होने की बात कह रहे हैं, लेकिन लगता है कि उन लोगों ने इंटरनेट पर सही तरह से डाटा की जांच नहीं की। उन्होंने कहा कि 'कोवैक्सिन' ने कई वायरल प्रोटीनों के लिए मजबूत इम्यूनिटी के साथ बेहतर सुरक्षा डाटा उत्पन्न किया है। इस संबंध में 70 से अधिक लेख अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। वैक्सीन की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं है।
'कोवैक्सिन' कोई बैकअप वैक्सीन नहीं है- ऐला
एला ने उन बयानों का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया है कि 'कोवैक्सिन' को बैकअप के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक वैक्सीन है कोई बैकअप प्लान नहीं है। इस तरह के बयान देने से पहले लोगों को जिम्मेदार होने की जरूरत है। बता दें कि रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि 'कोवैक्सिन' का इस्तेमाल बैकअप के तौर पर किया जाएगा।