'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सिन' के अलावा भारत में अन्य कोरोना वैक्सीनों की क्या स्थिति है?
भारत ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी है और जल्द ही इनका वितरण शुरू हो सकता है। हालांकि देश में केवल यही कोरोना वैक्सीनें नहीं बन रही हैं और इनके अलावा भी अन्य कई वैक्सीनें ट्रायल और प्री-क्लीनिकल ट्रायल के दौर में हैं। आइए इन सभी वैक्सीनों के बारे में जानते हैं और उनकी प्रगति पर एक नजर डालते हैं।
जायडस कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन रेस में आगे
SII और भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीनों के बाद जायडस कैडिला की वैक्सीन भारत में रेस में सबसे आगे हैं। ZyCoV-D नामक इस स्वदेशी वैक्सीन को DNA प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है और कंपनी बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर इसे विकसित कर रही है। ये वैक्सीन अभी दूसरे चरण के इंसानी ट्रायल में है। कंपनी को तीसरे चरण का ट्रायल करने की मंजूरी भी मिल चुकी है और जल्द ही इसे शुरू किया जा सकता है।
रूस की स्पूतनिक-V का भी हो रहा भारत में ट्रायल
रूस के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित की गई स्पूतनिक-V वैक्सीन का भी भारत में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने इसके लिए रूस के साथ समझौता किया है और वही भारत में इसका ट्रायल और निर्माण कर रही है। कंपनी इस साल भारत के लिए 30 करोड़ खुराकें बनाएगी। कॉमन कोल्ड करने वाले एडिनोवायरस से बनाई गई स्पूतनिक-V को रूस में हुए ट्रायल में 91.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है।
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की वैक्सीन का ट्रायल जल्द होगा शुरू
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स भी अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन 'NVX-COV-2373' को भारत में उतारने की तैयारी में है और जल्द ही इसका तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो सकता है। कोविशील्ड की तरह इस वैक्सीन का भी भारत में SII ट्रायल करेगी और वही इसका निर्माण करेगी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस के टुकड़ों को आधार बनाकर इस वैक्सीन को तैयार किया गया है। अमेरिका में भी इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।
ये कोरोना वैक्सीन भी इंसानी ट्रायल में
हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई ने भी अमेरिकी कंपनी डायनावैक्स टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर एक वैक्सीन तैयार की है और अभी इसके पहले और दूसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं। इस साल अप्रैल में इसका तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो सकता है।
ये तीन वैक्सीनें प्री-क्लीनिकल ट्रायल में
पुणे स्थित जिनोवा कंपनी ने अमेरिका की HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर mRNA वैक्सीन तैयार की है और जानवरों पर ट्रायल समाप्त होने के बाद जनवरी में इसका इंसानी ट्रायल शुरू हो सकता है। इसके अलावा थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार की जा रही भारत बायोटेक की एक और वैक्सीन प्री क्लिनिकल दौर में पहुंच गई है। वहीं अमेरिकी कंपनी ऑरोवैक्सीन के साथ तैयार की जा रही ऑरोबिन्दो फार्मा की वैक्सीन अभी बिल्कुल शुरुआती चरण में है।
क्या होती है वैक्सीन को हरी झंडी मिलने की प्रक्रिया?
किसी भी वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी पाने के लिए इंसानी ट्रायल के तीन चरणों को सफलतापूर्वक पार करना होता है। जानवरों पर ट्रायल के बाद इंसानी ट्रायल की मंंजूरी मिलती है। इसमें हजारों की संख्या में लोगों को खुराक देेकर वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा को जांचा जाता है। इसके बाद अगर वैक्सीन के नतीजे संतोषजनक मिलते हैं तो इसे इस्तेमाल की हरी झंडी दिखाई जाती है। इस प्रक्रिया में महीनों से लेकर कई साल लग सकते हैं।