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    नीति आयोग और PMO को दी क्लीन चिट के फैसले पर पुनर्विचार करेगा चुनाव आयोग

    नीति आयोग और PMO को दी क्लीन चिट के फैसले पर पुनर्विचार करेगा चुनाव आयोग

    लेखन प्रमोद कुमार
    May 19, 2019
    10:55 am

    क्या है खबर?

    चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और नीति आयोग को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में क्लीन चिट देने के फैसले पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है।

    यह कार्रवाई चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के कहने पर हो रही है। पिछले हफ्ते आयोग ने कांग्रेस की शिकायत को रद्द कर दिया था।

    कांग्रेस की शिकायत थी कि PMO ने नीति आयोग का इस्तेमाल करते हुए मोदी की रैली से पहले गोंडिया, वर्धा और लातूर के जिलाधिकारियों से सूचनाएं ली थीं।

    नाराजगी

    नीति आयोग के जवाब से संतुष्ट नहीं थे लवासा

    अशोक लवासा नीति आयोग को क्लीन चिट देने के इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे।

    उन्होंने नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत से और स्पष्टीकरण मांगने को कहा था कि क्या नीति आयोग ने इन जिलों के जिलाधिकारियों से सूचना मांगी है और क्या इन सूचनाओं का प्रधानमंत्री मोदी की रैली के लिए इस्तेमाल किया गया है।

    मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने नियमों का हवाला देते हुए इस शिकायत को रद्द कर दिया था।

    जानकारी

    क्या कहते हैं नियम

    इस मामले के बारे में 12 मई को उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने बताया कि चुनाव आयोग को इस शिकायत में कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक प्रधानमंत्री अपनी आधिकारिक और चुनावी यात्रा एक साथ कर सकते हैं।

    नोटिस

    चुनाव आयोग ने दोबारा मांगा कांत से स्पष्टीकरण

    बताया जा रहा है कि लवासा इस मामले में बिना पूरे तथ्यों की जांच-पड़ताल किए क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ थे।

    लवासा द्वारा इस प्रक्रिया पर सवाल उठाने के बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार को अमिताभ कांत को दूसरा पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है।

    आयोग ने पूछा है कि क्या नीति आयोग ने जिलाधिकारियों से सूचनाएं मांगकर इनका प्रधानमंत्री की यात्राओं के लिए इस्तेमाल किया है।

    इसका जवाब देने के लिए कांत को कोई डेडलाइन नहीं दी गई है।

    जानकारी

    कांत ने पहले जवाब में क्या कहा था?

    चुनाव आयोग ने जब कांत से पहली बार स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं है। कांत ने कहा कि सूचनाएं मांगना एक साधारण प्रक्रिया है और नीति आयोग अकसर अलग-अलग जिलों से सूचनाएं हासिल करता रहता है।

    चुनाव आयोग

    पहली बार अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहा आयोग

    यह पहला मामला नहीं है जब लवासा ने अपने बाकी दो सहयोगियों के फैसले पर सवाल उठाए हैं।

    इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में क्लीन चिट देने के चुनाव आयोग के फैसले पर भी असहमति व्यक्त की थी।

    हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह ऐसा पहला मामला है जब चुनाव आयुक्त ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है।

    विवाद

    सामने आई चुनाव आयोग की फूट

    शाह और मोदी को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में क्लीन चिट दिए जाने से लवासा सहमत नहीं थे।

    हाल ही में उनका चुनाव आयोग को लिखा एक पत्र सामने आया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग के फैसले में उनकी अल्पमत की राय को दर्ज नहीं किया जा रहा है, इसलिए उन्होंने इस महीने की शुुरुआत से आचार संहिता से संबंधित बैठकों में जाना बंद कर दिया।

    लवासा चाहते हैं कि उनकी अल्पमत की राय को रिकॉर्ड किया जाए।

    प्रतिक्रिया

    मुख्य चुनाव आयुक्त आए सामने

    लवासा के पत्र के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बयान जारी कर इसे गैरजरूरी विवाद बताया है।

    उन्होंने लिखा, 'चुनाव आयोग में तीनों सदस्य एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते। ऐसे कई मौके आए हैं जब विचारों में मतभेद रहा है। ऐसा हो सकता है और होना भी चाहिए, लेकिन ये बातें आयोग के अंदर ही रहीं। जब भी सार्वजनिक बहस की जरूरत हुई, मैंने उससे मुंह नहीं मोड़ा है लेकिन हर चीज का समय होता है।

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