उत्तर प्रदेश में NRC? पुलिस ने दिए बांग्लादेशी और दूसरे विदेशियों की पहचान के आदेश
उत्तर प्रदेश के DGP ओपी सिंह ने सभी जिलों के SP को पत्र लिखकर सभी बांग्लादेशी और 'दूसरे विदेशियों' की पहचान करने को कहा है ताकि उन्हें वापस भेजा जा सके। पत्र में DGP ने लिखा है कि राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी कदम है। उत्तर प्रदेश पुलिस का यह कदम असम के NRC की तरह है, जिसमें नाम नहीं होने पर नागरिकों को डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
पहचाने गए लोगों को वापस भेजा जाएगा
असम में NRC की अंतिम सूची जारी होने के बाद से दिल्ली समेत कई राज्यों में इसे लागू करने की मांग उठी थी। इस सूची में 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली थी। इसे लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं है कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह नया आदेश आ गया। DGP ने अपने पत्र में लिखा है कि पहचान किए गए लोगों को तय समय के भीतर वापस भेजा जाएगा और यह शीर्ष अधिकारियों की देखरेख में होगा।
विदेशियों की मदद करने वाले सरकारी अधिकारी भी आएंगे पकड़ में
पुलिस को अपने जिले के ट्रांसपोर्ट हब और झुग्गियों की तलाशी लेने और संदिग्धों के दस्तावेजों को वेरिफाई करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा ऐसे सरकारी अधिकारियों की पहचान करने को कहा गया है जो 'विदेशियों' के फर्जी कागजात तैयार कर रहे हैं। राज्य में रहने वाले बांग्लादेशी और दूसरे विदेशी नागरिकों के फिंगरप्रिंट लिए जाएंगे। वहीं निर्माण कंपनियों को अपने मजदूरों के पहचान पत्र रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
DGP ने दी यह प्रतिक्रिया
एक तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस के इस कदम को NRC की तरह देखा जा रहा है, लेकिन DGP ने इससे मना किया है। DGP से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका NRC से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि अवैध रूप से भारत में रहने वाले बांग्लादेशी और विदेशियों की पहचान कर उनके डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई किए जाएंगे। अगर उनके डॉक्यूमेंट्स फर्जी निकलते हैं तो उन्हें वापस भेजा जाएगा।
असम में लागू NRC की तारीफ कर चुके हैं योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ ने असम में लागू NRC की तारीफ करते हुए कहा था कि जरूरत पड़ने पर उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कदम उठाया जा सकता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि असम में NRC लागू करना राष्ट्र सुरक्षा के लिए जरूरी कदम था।
क्या है NRC?
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस में देश के नागरिकों का ब्यौरा होता है और इसके जरिए अवैध रूप से देश में रह रहे लोगों की पहचान की जाती है। अभी केवल असम में NRC लागू है। असम में NRC को पहली बार 1951 में लागू किया गया था। अब इसे अपडेट करके दोबारा लागू किया गया है। इसमें 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
पूरे देश में NRC लागू करने की बात कह चुके हैं अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में NRC लागू करने की बात कही थी। एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा था, "हम NRC को पूरे देश में लागू करेंगे। क्या एक भारतीय अमेरिका, ब्रिटेन या रूस में गैरकानूनी तरीके से रह सकता है? नहीं, तो दूसरे देशों के नागरिक बिना कानूनी दस्तावेजों के भारत में कैसे रह सकते हैं? इसलिए मेरा मानना है कि NRC को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।"