
वेकैंया नायडू कभी भी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे, जानें उन्होंने क्यों कही यह बात
क्या है खबर?
देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि वह कभी भी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते था।
उन्होंने कहा कि जब उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया तो उसकी आंखों में आंसू आ गए, क्योंकि इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर नहीं जा पाएंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं से बात नहीं कर पाएंगे।
उपराष्ट्रपति ने इस बीच कहा कि पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के अलावा सब कुछ दिया, जिसके लिए वह उपयुक्त भी नहीं थे।
बयान
नानाजी देशमुख के रास्ते पर जाना चाहते थे नायडू
चेन्नई में उपराष्ट्रति के तौर पर उनके दो साल के कार्यकाल के ऊपर लिखी गई एक किताब के लॉन्च के मौके पर उपराष्ट्रपति नायडू ने ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा, "मैं कभी भी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहता था। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था कि उनके दूसरे कार्यकाल में मैं सरकार छोड़कर नानाजी देशमुख के कदमों पर चलते हुए रचनात्मक कार्य करना चाहता हूं। मैं इसी हिसाब से तैयारी कर रहा था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"
घटनाक्रम
नायडू ने खुद सुझाए थे उपराष्ट्रपति के लिए नाम
नायडू ने ये भी बताया कि चुनाव के वक्त उन्होंने उपराष्ट्रपति के लिए कुछ नामों का सुझाव भी दिया था।
उन्होंने आगे बताया, "पार्टी संसदीय बोर्ड की एक बैठक के बाद अमित (शाह) भाई ने कहा कि पार्टी में सभी सोचते हैं कि मैं इसके लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति रहूंगा। मैंने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी। मेरे आंसू आ गए, इसलिए नहीं क्योंकि मैं मंत्री पद गंवाने वाला था। उसे तो मैंं छोड़ने ही वाला था।"
चिंता
आंदोलन के भविष्य को लेकर चिंतित थे नायडू
अपने आंसुओं का कारण बताते हुए नायडू ने कहा कि एक साधारण कारण की वजह तब भावनाओं ने उन्हें घेर लिया, कि अलगे दिन से वह भाजपा कार्यालय जाने और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने में असमर्थ रहेंगे।
उन्होंने कहा कि वह आंदोलन (RSS, ABVP) के भविष्य को लेकर चिंतित थे और इसलिए उनके आंसू आ गए।
बता दें कि नायडू छात्र राजनीति में RSS और उसके छात्रसंघ ABVP से जुड़े रहे हैं।
बयान
"प्रधानमंत्री बनने के लिए उपयुक्त नहीं था"
इतना कुछ देने के लिए पार्टी का धन्यवाद कहते हुए नायडू ने कहा, "मैं आंदोलन से काफी कम उम्र में जुड़ गया था और पार्टी ने मुझे प्रधानमंत्री बनाने के अलावा सबकुछ दिया, जिसके मैं काबिल नहीं था। मैं अपनी क्षमता और योग्यता जानता हूं।"
कश्मीर पर बयान
गृह मंत्री अमित शाह भी रहे समारोह में मौजूद
इस समारोह में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने पर बोले।
उन्होंने कहा, "एक सांसद के तौर पर मेरा पक्का विश्वास है कि अनुच्छेद 370 को बहुत पहले हट जाना चाहिए था। गृह मंत्री के तौर पर मेरे दिमाग में अनुच्छेद 370 हटाने के परिणामों को लेकर कोई संशय नहीं था। मुझे भरोसा है कि कश्मीर में आतंकवाद खत्म होगा और अब वो विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।"