कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट से मिली मंजूरी
क्या है खबर?
केंद्रीय कैबिनेट ने आज कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। कैबिनेट की बैठक में इसे हरी झंडी दिखाई गई।
सरकार कानूनों को वापस लेने के लिए तीन अलग-अलग विधेयक नहीं ला रही है और एक ही विधेयक के जरिए इन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाएगा।
सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग पर भी विचार कर रही है, हालांकि कैबिनेट की बैठक में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को किया था कानूनों को वापस लेने का ऐलान
बता दें कि किसानों के कड़े विरोध और लगभग एक साल के किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था।
अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।
उनके ऐलान के बाद ही कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे संबंधित विधेयक पर काम शुरू कर दिया था।
प्रस्तावित विधेयक
कृषि कानूनों के तहत बनाए गए सभी बोर्ड और दफ्तर होंगे बंद
सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित विधेयक में कृषि कानूनों के तहत बनाए गए सभी बोर्ड्स को बंद करने का प्रावधान किया गया है और उनके द्वारा लिए गए सभी फैसले अमान्य हो जाएंगे।
इसके अलावा कानूनों के तहत बनाए गए दफ्तर भी बंद किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने से पहले जिन छह महीनों में ये तीनों कानून प्रभावी थे, उनमें कुछ राज्यों ने इन पर काम शुरू कर दिया था और ये दफ्तर उसी दौरान खोले गए थे।
किसानों का रुख
अभी आंदोलन वापस नहीं लेंगे किसान, MSP पर अड़े
गौरतलब है कि किसान अब भी अपना आंदोलन समाप्त नहीं कर रहे हैं और इसके लिए कानूनों के संसद से रद्द होने का इंतजार करेंगे।
इसके अलावा किसान संगठनों का कहना है कि कानूनों को रद्द करवाना उनकी एक मांग थी और अभी MSP पर कानून समेत कई मांगें लंबित हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को खुला पत्र भी लिखा है।
MSP की इसी मांग को देखते हुए सरकार इस पर भी विचार कर रही है।
योजना
जारी रहेंगे किसानों के सभी प्रस्तावित कार्यक्रम
किसानों ने कानूनों की वापसी तक अपने सभी प्रस्तावित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला भी लिया है।
इस कार्यक्रम के तहत 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में महापंचायत होगी, वहीं 26 नवंबर को आंदोलन को एक साल होने के मौके पर बड़ी संख्या में किसानों को प्रदर्शनस्थलों पर बुलाया जाएगा।
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद 29 नवंबर को संसद मार्च भी निकली जाएगी।