उत्तर प्रदेश में आंदोलन तेज करेंगे किसान, सरकार को चुनौती- लखनऊ को दिल्ली बना देंगे
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया है। राज्य की राजधानी लखनऊ को दिल्ली बनाने की चुनौती देते हुए किसानों ने ऐलान किया है कि लखनऊ की तरफ जाने वाले सभी मार्गों को 5 सितंबर के बाद बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा मुजफ्फरपुर में एक बड़ी महापंचायत का आयोजन भी किया जाएगा। उत्तराखंड में आंदोलन तेज करने का फैसला भी लिया गया है।
किसानों का 'मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड' का ऐलान
'मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड' का ऐलान करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा, "हम मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शुरू करने जा रहे हैं। ये आंदोलन को अधिक केंद्रित और तेज करेगा। इसमें बड़ी रैलियां और एक महापंचायत होगी और हम सुनिश्चित करेंगे कि गांव से लेकर हर स्तर पर भाजपा और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हों।" वहीं भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि लखनऊ को दिल्ली बनाया जाएगा।
5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में महापंचायत
आंदोलन में इस तेजी से पहले 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि ये अपनी तरह का सबसे बड़ा आयोजन होगा।
नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं किसान
बता दें कि देशभर में किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और पिछले साल नवबंर से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हुए हैं। इस दौरान सरकार और उनके बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन इनमें कोई नतीजा नहीं निकला। किसानों का कहना है कि सरकार कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देेने वाला कानून बनाए, वहीं सरकार केवल संशोधन को तैयार है।
जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' संचालित कर रहे आंदोलनकारी
अभी किसान मानसून सत्र के साथ-साथ जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' चला रहे हैं। इसमें रोजाना 200 किसान शामिल होते हैं और किसानों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं। आज महिलाएं इस किसान का संचालन कर रही हैं। इसके अलावा विपक्ष के कई सांसदों ने भी संसद में कृषि कानून का मुद्दा उठाने की कोशिश की है और इसके और अन्य मुद्दों के कारण कई बार सदनों को स्थगित भी करना पड़ा है।
क्या हैं विवादित कृषि कानून?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।