14 विपक्षी पार्टियों ने जारी किया संंयुक्त बयान, पेगासस और कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग
क्या है खबर?
14 विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त बयान बयान जारी करते हुए संसद के दोनों सदनों में पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा की मांग की है। सरकार को अहंकारी और हठी बताते हुए विपक्ष ने कहा है कि सरकार ने विपक्ष को बदनाम करने के लिए सरकार ने भ्रामक अभियान चलाया हुआ है।
पत्र में विपक्ष ने संसद चलाने की जिम्मेदारी भी सरकार के कंधों पर डाली है।
विपक्ष ने कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग भी की है।
पत्र
गृह मंत्री अमित शाह दे पेगासस कांड पर बयान- विपक्ष
14 विपक्षी पार्टियों के 18 नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में लिखा है, "विपक्षी पार्टियां पेगासस मुद्दे पर दोनों सदनों में चर्चा और गृह मंत्री द्वारा जवाब की मांग पर अडिग और साथ खड़ी हैं क्योंकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामला है। विपक्ष ने यह भी साफ कर दिया है कि तीन किसान विरोधी और काले कृषि कानूनों के कारण हो रहे आंदोलन और किसानों के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।"
बयान
विपक्ष ने कहा- गतिरोध को तोड़ने की जिम्मेदारी सरकार की
पत्र में आगे लिखा है, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने एकजुट विपक्ष को बदनाम करने और संसद में लगातार व्यवधान का दोष उसके सिर मढ़ने के लिए एक भ्रामक अभियान छेड़ दिया है। गतिरोध की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की है जो अहंकारी और हठी है और दोनों सदनों में चर्चा की विपक्ष की मांग को ठुकरा रही है। विपक्ष एक बार फिर से सरकार से संसदीय लोकतंत्र का सम्मान करने और चर्चा करने की अपील करती है।"
नाम
हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में मल्लिकार्जुन खड़गे और शरद पवार भी शामिल
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
इसके अलावा कांग्रेस के आनंद शर्मा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के डेरेक ओ ब्रायन और शिवसेना के संजय राउत ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
राष्ट्रीय जनता दल, DMK, माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी हस्ताक्षर करने वाली अन्य बड़ी पार्टियां रहीं।
विपक्ष की रणनीति
राहुल गांधी ने कल ही की थी विपक्षी नेताओं के साथ बैठक
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों ने ये संयुक्त बयान कल राहुल गांधी की विपक्षी नेताओं के साथ बैठक के बाद जारी किया है। इसमें आज बयान जारी करने वाली लगभग सारी पार्टियों के नेता शामिल हुए थे।
बैठक में पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को संसद में घेरने की रणनीति पर चर्चा की गई थी। इसके अलावा 'मॉक पार्लियामेंट' आदि पर भी विचार विमर्श किया गया था।
गतिरोध
पेगासस जासूसी कांड आदि मुद्दों पर संसद नहीं चलने दे रहा है विपक्ष
बता दें कि पेगासस और कृषि कानून जैसे मुद्दों पर विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा है और उसके हंगामे के कारण मानसून सत्र में बेहद कम काम हो पाया है।
विपक्ष की मांग है कि सरकार मानसून सत्र में पेगासस जासूसी कांड पर चर्चा करे, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है। राहुल ने तो मामले में गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा भी मांगा है।
सरकार ने मामले पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
मुद्दा
क्या है पेगासस जासूसी कांड?
पिछले महीने सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई या इसकी कोशिश की गई।
इन लोगों में राहुल गांधी और प्रशांत किशोर समेत विपक्ष के कई नेता, मोदी सरकार के दो मंत्री, कई संवैधानिक अधिकारी और पत्रकार, अनिल अंबानी और CBI के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा समेत कई नाम शामिल थे।