उमर खालिद का अमरावती में दिया गया बयान था भड़काऊ और आपत्तिजनक- दिल्ली हाई कोर्ट
क्या है खबर?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साल 2020 में हुई हिंसा के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA) के तहत गिरफ्तार आरोपी उमर खालिद की जमानत पर शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
इसमें कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के अमरावती में नागरिकता संधोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) विरोधी प्रदर्शनों में खालिद द्वारा दिया गया बयान भड़काऊ, आपत्तिजनक और अस्वीकार्य था। कोर्ट ने मामले में दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है।
पृष्ठभूमि
दिल्ली हिंसा के मामले में खालिद को बनाया गया था मुख्य आरोपी
बता दें कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली के कई इलाकों में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस का एक हेड कांस्टेबल सहित 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 500 घायल हुए थे।
इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने खालिद सहित साजिश रचने के आरोप में 18 लोगों को गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने खालिद के खिलाफ UAPA) के तहत मामला दर्ज करते हुए चार्जशीट में उसे हिंसा के 'मुख्य साजिशकर्ताओं' में से एक होना बताया था।
याचिका
कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दी थी खालिद की जमानत याचिका
बता दें मामले में खालिद ने वकील त्रिदीप पैस के जरिए कड़कड़डूमा कोर्ट में अपने बयान को व्यग्तिगत राय बताते हुए जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन 24 मार्च को कोर्ट ने उसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रथम दृष्टया यह बयान स्वीकार्य नहीं है और अभी आरोपी को जमानत देने के लिए कोई आधार नहीं बनता है।
इसके बाद खालिद ने कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई
हाई कोर्ट ने खालिद के बयान को माना आपत्तिजनक
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा, "आपका बयान भड़काऊ, आपत्तिजनक और अस्वीकार्य था। क्या आपको नहीं लगता इस तरह के बयान लोगों को उकसाते हैं? क्या यह कहना कि आपके पूर्वज अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे, गलत नहीं है।"
कोर्ट ने कहा, "आपके बयान से लगता है कि सिर्फ एक ही समुदाय अंग्रेजों से लड़ रहा था। क्या भगत सिंह और गांधी जी ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया?"
जानकारी
खालिद के वकील ने क्या दी दलील?
सुनवाई के दौरान खालिद के वकील पैश ने कहा कि दिल्ली दंगों के वक्त खालिद मौजूद नहीं था। उसके खिलाफ सिर्फ एक बयान है। इस दौरान उन्होंने बयान सुनाने का प्रयास किया तो कोर्ट ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
सवाल
कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल?
कोर्ट ने कहा, "क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे बयान लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काते हैं? अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर ऐसे भड़काऊ बयान नहीं दिए जा सकते है। लोकतंत्र में इसकी इजाजत नहीं है।"
कोर्ट ने कहा, "क्या गांधीजी ने हमें यही सिखाया है कि हम लोगों और उनके पूर्वज के बारे में अभद्र भाषा का प्रयोग कर सकते हैं? हमें अभिव्यक्ति की आजादी देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप क्या कह रहे हैं?"
जवाब
कोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर तीन दिन में अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के बयान दिए गए हैं। ऐसे में पुलिस को मामले को लेकर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के बयानों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
बयान
खालिद ने क्या दिया था अमरावती में बयान?
बता दें कि खालिद ने अमरावती में एक सभा में कहा था कि जब डोनाल्ड ट्रंप भारत आएंगे तो उन्हें बताया जाएगा कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री और सरकार देश को बांट रही है और महात्मा गांधी के उसूलों की धज्जियां उड़ा रही है।
उस दौरान उन्होंने लोगों से सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की थी और नहीं आने वालों के पूर्वजों को अंग्रेजों का गुलाम करार दिया था। पुलिस ने इस बयान को बेहद भड़काऊ माना था।
जानकारी
हाल ही में इशरत जहां को मिली थी जमानत
दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए कुल 18 आरोपियों में से अब तक छह आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। ट्रायल कोर्ट ने 14 मार्च को पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत दी थी, लेकिन गुलफिशा और तसलीम की याचिका खारिज कर दी थी।