JNU देशद्रोह मामला: कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट लौटाई, कहा- दिल्ली सरकार की अनुमति लेकर आओ
जवाहर लाल नेहरू (JNU) देशद्रोह मामले में पटिलाया कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा पेश चार्जशीट को स्वीकार करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने पुलिस से चार्जशीट पर पहले दिल्ली सरकार की मंजूरी लेने को कहा है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार से मंजूरी नहीं ली थी, जैसा कि जरूरी होता है। इसके बाद चार्जशीट पर फैसला अधर में लटक सकता है क्योंकि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार में छत्तीस का आंकड़ा है।
दिल्ली सरकार से मंजूरी जरूरी
नियमानुसार, देशद्रोह के मामले में कोई भी चार्जशीट दाखिल करने से पहले दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार की अनुमति लेनी होती है। यह अनुमति सरकार का कानून मंत्रालय देता है। कानून मंत्रालय से अनुमति के बाद फाइल उपराज्यपाल के पास जाती है। नियम के मुताबिक, अगर चार्जशीट पर दिल्ली सरकार की मंजूरी नहीं ली जाती तो कोर्ट स्वीकार नहीं करता। खबरों के मुताबिक, पुलिस ने चार्जशीट पेश करने वाले दिन ही अनुमति के लिए आवेदन किया था।
10 लोगों पर है देशद्रोह का आरोप
पुलिस ने कोर्ट में कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 लोगों पर 1,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में कन्हैया, खालिद समेत अन्य आरोपियों पर राजद्रोह (124ए) समेत अन्य कई धाराओं में भी आरोप हैं। कन्हैया, उमर और अनिर्बान के अलावा मामले में अन्य 7 आरोपी कश्मीर के रहने वाले हैं। अगर आरोपियों पर राजद्रोह का मामला सिद्ध होता है तो उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
9 फरवरी, 2016 को JNU में लगे थे देश विरोधी नारे
JNU में 9 फरवरी, 2016 को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में देश विरोधी नारे लगाए गए थे। विवाद के समय कन्हैया JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और उन्हें पुलिस में हिरासत में लिया था। उमर, अनिर्बान के साथ कन्हैया भी इस समय जमानत पर बाहर हैं। पुलिस में अपनी चार्जशीट में लिखा है कि नारे लगाने वाली भीड़ का नेतृत्व कन्हैया ही कर रहे थे और उन्होंने वहां सुरक्षाकर्मियों से बहस भी की थी।