दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में उमर खालिद को नहीं मिली जमानत
दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने 2020 में राजधानी में हुए दंगों से संबंधित मामलों में आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया है। पिछले आठ महीनों से जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने 3 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था और उसके बाद तीन बार आदेश की तारीख आगे बढ़ाई गई थी। खालिद को सितंबर, 2020 में गिरफ्तार किया था और वो अभी भी जेल में बंद हैं।
उमर खालिद पर लगाया गया है UAPA
उमर खालिद को बेहद कठोर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर दिल्ली दंगों के 'मुख्य साजिशकर्ताओं' में से एक होने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने खालिद के साथ साजिश रचने के आरोप में 18 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से अभी तक केवल छह आरोपियों को जमानत मिल पाई है। बता दें कि दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और करीब 700 घायल हुए थे।
सुनवाई के दौरान खालिद की तरफ से क्या दलील दी गई?
सुनवाई के दौरान खालिद की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील त्रिदीप पैस ने कहा कि मामले में गवाह झूठे थे। जांच अधिकारी ने कल्पना से चार्जशीट लिखी और इस पूरे मामले में खालिद की भूमिका के कोई सबूत नहीं हैं। चार्जशीट को 'बकवास' बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चार्जशीट टीवी चैनलों की वीडियो क्लिप पर आधारित है, जिसमें उमर के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था।
"गवाहों ने झूठे बयान दिए"
पैस ने तर्क दिया कि UAPA मामले में गवाहों ने झूठे बयान दिए थे और आधे सच पर मामला नहीं बनता। पुलिस ने उमर की गिरफ्तारी के समय गवाओं को उठाया था। उन्होंने कहा कि पुलिस हर आरोपी को एक जैसा दिखाना चाहती है।
अभियोजन पक्ष की तरफ से क्या कहा गया?
वहीं सरकारी वकील ने खालिद की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि वो 2019 में हुई हिंसा के पीछे चुपचाप काम कर रहे थे। ऐसी व्हाट्सऐप चैट्स सामने आई हैं, जिनका कथित तौर पर साजिश को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने यह भी दलील दी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए 25 ऐसी जगहों को चुना गया, जहां से मस्जिदें नजदीक थीं और इन्हें जानबूझकर धर्म निरपेक्ष नाम दिए गए।
हाल ही में इशरत जहां को मिली थी जमानत
ट्रायल कोर्ट ने 14 मार्च को इस मामले में पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत दी थी। हालांकि, 16 मार्च को कोर्ट ने गुलफिशा फातिमा और तसलीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।