
कन्हैया कुमार पर चार्जशीट में इन धाराओं पर लगे आरोप, मिल सकती है उम्रकैद की सजा
क्या है खबर?
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में देश विरोधी नारे लगने के मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद समेत 10 अन्य आरोपियों पर सुनवाई 19 जनवरी तक टल गई है।
दिल्ली पुलिस ने पटियाला कोर्ट में 1,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। पटियाला कोर्ट ने सुनवाई को 19 जनवरी तक टाल दिया है।
चार्जशीट में कन्हैया पर देशद्रोह का आरोप है। चार्जशीट के अनुसार, कन्हैया ने नारे लगाने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था और नारों का समर्थन किया था।
राजद्रोह का आरोप
इन धाराओं के तहत आरोप
चार्जशीट में कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्बान समेत 10 आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
आरोपियों पर धारा 323 (किसी को चोट पहुंचाना), 465 (जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करना), 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होना), 147 (दंगा फैलाने के लिए सजा) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
सजा
राजद्रोह में आजीवन कारावास तक की सजा
अगर कन्हैया और अन्य पर राजद्रोह का मामला सिद्ध होता है तो उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
पुलिस ने आरोपों के समर्थन में बयानों की पुष्टि करती वीडियो क्लिप और गवाहों के बयान दिए हैं।
कन्हैया ने 3 साल बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुलिस और प्रधानमंत्री का शुक्र अदा करते हुए चार्जशीट दाखिल करने के समय को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले चार्जशीट दाखिल करने पर सवाल उठाए।
JNU देशद्रोह मामला
9 फरवरी को JNU में क्या हुआ था?
JNU में 9 फरवरी, 2016 को अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में देश विरोधी नारे लगे थे।
कन्हैया उस समय JNU छात्रसंघ अध्यक्ष थे। पुलिस ने उन्हें देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया था। उनपर नारे लगाने वाली भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप हैं।
मामले में कन्हैया के अलावा उनके साथी उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य जमानत पर बाहर चल रहे हैं। इन तीनों के अलावा बाकी 7 आरोपी कश्मीर के रहने वाले हैं।