
जोशीमठ में गिराए जाएंगे बुरी तरह क्षतिग्रस्त मकान, सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए 4,000 लोग
क्या है खबर?
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण पड़ी दरारों से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए मकानों और इमारतों को तोड़ने का काम आज से शुरू हो जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि इन इमारतों को इसलिए तोड़ा जा रहा है, ताकि आसपास की अन्य इमारतों को नुकसान न पहुंचे।
गौरतलब है कि जोशीमठ को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है और करीब 4,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
कार्रवाई
CBRI की देखरेख में तोड़े जाएंगे मकान
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में जमीन धंसने का आंकलन करने वाले एक विशेषज्ञ पैनल ने क्षतिग्रस्त मकानों को गिराने की सिफारिश की थी।
क्षतिग्रस्त इमारतों को तोड़ने का काम केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की एक टीम की देखरेख में किया जाएगा, वहीं इस टीम की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें भी उपस्थित रहेंगी।
बता दें कि जोशीमठ में 600 से अधिक मकानों में छोटी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं।
स्थिति
तीन जोन में बांटा गया है जोशीमठ
प्रशासन ने जमीन धंसने के खतरे के हिसाब से जोशीमठ को तीन जोन में बांटा है- 'डेंजर', 'बफर' और 'पूरी तरह सुरक्षित' जोन।
डेंजर जोन वाले क्षेत्र में खतरा है क्योंकि वह पूरी तरह से असुरक्षित है और उसे तुरंत खाली किया जाना है।
बफर जोन वाले क्षेत्र वर्तमान में सुरक्षित हैं, लेकिन भविष्य में वहां खतरे की स्थिति पैदा हो सकती है, वहीं पूरी तरह सुरक्षित जोन में किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है।
रिपोर्ट
केंद्र की एक टीम आज सौंपेगी रिपोर्ट
केंद्र सरकार द्वारा भेजी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक टीम जोशीमठ की स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट आज उत्तराखंड सरकार को सौंपेगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की टीमों ने घटनाक्रम का अध्ययन किया है।
कारण
जोशीमठ में जमीन धंसने के क्या हैं प्रमुख कारण?
देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने जोशीमठ में जमीन धंसने को लेकर कहा, "जोशीमठ की नींव को तीन प्रमुख कारक कमजोर कर रहे हैं। पहला शहर एक सदी से भी पहले भूकंप के बाद हुए भूस्खलन के मलबे पर विकसित है। दूसरा, यह भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले जोन पांच में आता है और तीसरा, पानी का लगातार बहाव चट्टानों को कमजोर कर रहा है।"