हल्द्वानी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश पर लगाई रोक
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से बने हजारों घरों और अतिक्रमण को हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर गुरुवार को रोक लगा दी।
कोर्ट ने कहा कि लोगों के बेघर हो जाने की स्थिति के कारण मामले के मानवीय पहलू को देखा जाना आवश्यक है।
समाचार एजेंसी ANI के मुतबिक, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस भी जारी किया है।
मामला
क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद हल्द्वानी के बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर बने 4,000 से अधिक घरों के लोगों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया था। इसके चलते इन परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा था।
बतौर रिपोर्ट्स, इस इलाके में रेलवे की जमीन पर 50,000 से अधिक लोग (अधिकांश मुस्लिम) बसे हुए हैं और कुछ परिवार यहां पर कई दशकों से रह रहे हैं।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने मामले पर सुनवाई की।
बेंच ने कहा कि यह मानवीय मामला है और 50,000 लोगों को रातों-रात घर खाली करने के लिए नहीं कहा जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि इलाके में दशकों से रह लोगों के पुनर्वास के लिए योजना बनाई जानी चाहिए और मामले में समाधान ढूंढे जाने की आवश्यकता है।
अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से सवाल करते हुए कहा, "कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने पट्टे पर जमीन लेने के बाद अपने मकान बनवाए थे, जबकि कुछ लोग कहते हैं कि वे 1947 से यहां पर रह रहे हैं जब जमीन की नीलामी हुई थी। विकास होना चाहिए, लेकिन इतने लंबे समय तक रुके लोगों का पुनर्वास दिया जाना चाहिए। उनको सात दिनों में खाली करने के लिए कैसे कहा जा सकता है?"
आदेश
हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर को हल्द्वानी में रेलवे की करीब 29 एकड़ भूमि पर हुए इस अतिक्रमण को हटाने का आदेश सुनाया था।
हाई कोर्ट ने कहा था कि रेलवे की जमीन पर कब्जा करने वालों को एक सप्ताह का नोटिस देकर जमीन खाली करवाई जाए।
हाई कोर्ट ने नोटिस के बावजूद जमीन खाली नहीं करने वालों को पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मदद से बलपूर्वक हटाने का निर्देश भी दिया गया था।
अतिक्रमण
क्षेत्र में क्या-क्या अतिक्रमण है?
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, इस इलाके में हजारों घरों के अलावा चार सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, 10 छोटी-बड़ी मस्जिद, चार मंदिर और दो पानी की टंकी भी बनी हुई हैं, वहीं पिछले कुछ वर्षों में बनीं दुकानें भी यहां मौजूद हैं।
रेलवे के अधिकारियों ने हाल ही में इस इलाके में अपनी भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण का जायजा लेने के लिए ड्रोन की मदद से हवाई सर्वेक्षण भी किया था।
जानकारी
क्षेत्र के लोगों ने किया था प्रदर्शन
इलाके में रहने वाले लोगों ने हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया था। बड़ी संख्या में लोगों ने कैंडल मार्च निकाला था। कुछ लोगों ने पट्टा दिखाते हुए पूछा कि प्रशासन ने उन्हें पहले बस जाने देने की अनुमति क्यों दी थी।