CAA को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित के नेतृत्व वाली बेंच इस कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 200 से अधिक याचिका पर सुनवाई करेगी। जस्टिस एस रविंद्र भट भी इस बेंच का हिस्सा होंगे। बता दें कि यह मामला काफी समय से लंबित है और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इस कानून को लेकर फिर से प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
सरकार ने दिसंबर, 2019 में CAA को संसद से पारित करा लिया था। इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले इन समुदाय के लोगों को तुरंत नागरिकता दे दी जाएगी, वहीं उसके बाद या आगे आने वाले लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता मिल सकेगी।
दिसंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा था जवाब
याद दिला दें कि दिसंबर, 2019 में तत्कालीनCJI एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने जनवरी, 2020 के दूसरे सप्ताह तक इस कानून पर जवाब मांगा था। इस मामले के याचिकाकर्ता का कहना था कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने करीब 140 रिट याचिकाओं का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया था।
केंद्र ने क्या जवाब दिया?
मार्च, 2020 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक के कानूनी, लोकतांत्रिक और सेकुलर अधिकारों का हनन नहीं होता है। अब एक बार फिर इस पर सोमवार को सुनवाई होने जा रही है।
CAA को लेकर देश में हुआ भारी विरोध
इस कानून में मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं होने को लेकर इस समुदाय के लोगों का मानना है कि इसका उनके खिलाफ दुरूपयोग किया जा सकता है। इसको लेकर 15 दिसंबर, 2019 से शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, जो करीब 100 दिनों तक चला था। इसमें मुस्लिम महिलाओं सहित बच्चों ने भागीदारी निभाई थी। इसको लेकर दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसमें करीब 54 लोगों की मौत हो गई थी।
महामारी के खत्म होने पर कानून लागू करेगी सरकार- शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मई में कहा था कि संशोधित नागरिकता कानून एक वास्तविकता है और इसे कोरोना महामारी खत्म होने के बाद लागू किया जाएगा। हालांकि, सरकार अभी तक इसके नियम तय नहीं कर पाई है।