
लखनऊ पोस्टर मामला: हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं, सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी सुनवाई
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा फैलाने के आरोपियों के पोस्टर सड़कों पर लगाए जाने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि किस कानून के तहत ये पोस्टर लगाए गए हैं? कोर्ट ने कहा कि अभी तक शायद ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत उपद्रव के कथित आरोपियों की तस्वीरें ऐसे लगाई जाएं।
मामला
क्या था लखनऊ पोस्टर मामला?
लखनऊ जिला प्रशासन ने पिछले सप्ताह नागरिकता कानून का विरोध करने वाले 53 प्रदर्शनकारियों की फोटो वाले पोस्टर शहर में लगाए थे।
प्रमुख चौराहों पर लगाए इन पोस्टर में मौलाना सैफ अब्बास, दीपक कबीर, रिटायर्ड IPS अधिकारी एसआर दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जफर आदि की फोटो लगाई गई थी।
इन पर 19 दिसंबर को लखनऊ में हुई हिंसा भड़काने का आरोप है। पोस्टर पर इनकी फोटो के साथ-साथ इनका नाम और पता भी लिखा गया है।
मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था। सोमवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ये पोस्टर हटाने का आदेश देते हुए 16 मार्च तक रिपोर्ट मांगी थी।
सरकार ने दलील दी थी कि संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया गया था।
कोर्ट ने दलील खारिज करते हुए नामजद लोगों के नाम, पते और फोटो सार्वजनिक न करने का आदेश दिया।
जानकारी
हाई कोर्ट ने बताया था निजता का हनन
चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि बिना कानूनी उपबंध के नुकसान वसूली के लिए पोस्टर मे फोटो लगाना अवैध है। यह निजता अधिकार का हनन है।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने जताई सरकार के फैसले पर हैरानी
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी, जिस पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर हैरानी व्यक्त करते हुए पूछा कि यह फैसला कैसे लिया गया?
कोर्ट ने कहा, 'हम राज्य सरकार की चिंताओं को समझते हैं, लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे आपके इस कदम को जायज ठहराया जा सके।"
जानकारी
बड़ी बेंच सुनेगी मामला
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पोस्टर हटाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी।