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    प्रदर्शन का अधिकार, लेकिन ये कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट

    प्रदर्शन का अधिकार, लेकिन ये कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 13, 2021
    12:32 pm

    क्या है खबर?

    शाहीन बाग प्रदर्शन मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धरने-प्रदर्शन के अधिकार की अपनी सीमाएं हैं और उसके साथ कुछ जिम्मेदारियां भी जुड़ी हुई हैं।

    कोर्ट ने कहा कि विरोध का अधिकार कहीं भी और कभी भी नहीं हो सकता। लंबे समय तक सार्वजनिक स्थानों पर विरोध कर दूसरों के अधिकार प्रभावित नहीं किए जा सकते।

    यह फैसला ऐसे समय आया है जब कई महीनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी पुनर्विचार याचिका

    सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर, 2020 में एक फैसला सुनाते हुए शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को अवैध करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ 12 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

    शाहीन बाग प्रदर्शन

    पुनर्विचार याचिका में क्या कहा गया था?

    याचिका में कहा गया था कि अक्टूबर में आए फैसले में शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर जो टिप्पणी की गई है, वह नागरिकों के आंदोलन करने के अधिकार पर संशय व्यक्त करती है।

    इस पर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान विरोध प्रदर्शन और अंसतोष व्यक्त करने का अधिकार देता है, लेकिन इस पर भी कुछ कर्तव्यों की बाध्यता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी को आदेश दिया था, लेकिन इसे बीती रात सार्वजनिक किया गया था।

    फैसला

    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कॉल, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, "विरोध-प्रदर्शन करने का अधिकार किसी भी जगह और किसी भी समय नहीं हो सकता। कुछ विरोध प्रदर्शन कभी भी शुरू हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक चलने वाले धरना प्रदर्शनों के लिए किसी ऐसे सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता, जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों।"

    इसके बाद बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

    पुराना फैसला

    अक्टूबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

    बीते साल अक्टूबर में इस मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजनिक स्थानों को बंद नहीं कर सकता। सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा करना पूरी तरह गलत है और इस तरह के प्रदर्शनों से लोगों के अधिकारों का हनन होता है।

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए।

    शाहीन बाग प्रदर्शन

    शाहीन बाग में 100 दिन से ज्यादा चला था प्रदर्शन

    याद दिला दें कि दिल्ली स्थित शाहीन बाग नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों का प्रमुख केंद्र था।

    यहां 100 दिनों से ज्यादा समय तक प्रदर्शन चला था। इस प्रदर्शन की कमान महिलाओं के हाथ में थी।

    दिसंबर, 2019 में शुरू हुआ यह प्रदर्शन मार्च में देश में महामारी की शुरुआत तक चला था। महामारी फैलने के डर की वजह से पुलिस और प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को शाहीन बाग से हटाया था।

    नागरिकता कानून

    नागरिकता कानून का विरोध क्यों हो रहा था?

    नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले गैर-मुस्लिमों को आसानी से भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

    मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने के कारण इसका विरोध हो रहा है और इसे देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बताया जा रहा है।

    हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोरोना वैक्सीनेशन अभियान खत्म होने के बाद इस कानून को लागू किया जाएगा।

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