अनिल देशमुख को क्लीन चिट वाली रिपोर्ट लीक, दिल्ली की अदालत ने दिए जांच के आदेश
क्या है खबर?
दिल्ली की एक निचली अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा प्रारंभिक जांच में क्लिन चिट दिए जाने की रिपोर्ट लीक होने के मामले में उनकी भूमिका की जांच के आदेश दिए है।
कोर्ट ने कहा कि मामले में CBI ने आरोप-पत्र में भले ही देशमुख को आरोपी नहीं बनाया है, लेकिन वह बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकते हैं। ऐसे में रिपोर्ट लीक मामले में उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।
प्रकरण
ED ने नवंबर में किया था देशमुख को गिरफ्तार
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने 20 मार्च को देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की अवैध वसूली का टारगेट देने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी। जांच के दौरान देखमुख की संपत्ति भी कुर्क की गई थी।
2 नवंबर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं देने पर गिरफ्तार कर लिया था।
रिपोर्ट
अगस्त में लीक हुई थी CBI की जांच रिपोर्ट
बता दें कि मामले में CBI ने जांच करते हुए देशमुख को क्लीन चिट दी थी, लेकिन 29 अगस्त को वह मीडिया में लीक हो गई थी।
उस रिपोर्ट में कहा गया था कि देशमुख ने कोई संज्ञेय अपराध नहीं किया है। देशमुख की कानूनी टीम ने CBI के निचली रैंक वाले अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश थी और जांच को विफल करने की एक बड़ी साजिश के तहत रिपोर्ट को लीक कर दिया। दोषियों की तलाश जारी है।
गिरफ्तार
देशमुख के वकील और CBI के उप निरीक्षक की सितंबर में हुई थी गिरफ्तारी
मामले की जांच के बाद CBI ने 1 सितंबर को देशमुख के वकील अनिल डागा और विभाग के उप निरीक्षक अभिषेक तिवारी को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद CBI ने दिल्ली की निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल करते हुए कहा था कि मामले की जांच को प्रभावित करने के लिए देशमुख के वकील डागा ने उप निरीक्षक तिवारी को रिश्वत दी थी। इसमें देखमुख की कोई भूमिका नहीं थी। इसके बाद तिवारी ने जांच रिपोर्ट को लीक कर दिया।
आदेश
कोर्ट ने दिए देशमुख की भूमिका की जांच के आदेश
इस आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने गुरुवार को CBI को मामले में देशमुख की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि आरोप पत्र में भले ही देशमुख आरोपी नहीं है, लेकिन रिपोर्ट के लीक होने से सबसे ज्यादा फायदा देशमुख को ही मिलता दिख रहा है। साजिश का सामान्य उद्देश्य अवैध और गुप्त तरीके से रिपोर्ट की जांच करवाना और उसके बाद इसका उपयोग और प्रसार करना प्रतीत होता है।
खिंचाई
कोर्ट ने की CBI की खिंचाई
कोर्ट ने CBI की खिंचाई करते हुए कहा, "ऐसा लगता है CBI ने गाड़ी खींचने वाले इंजन या घोड़े को छोड़ दिया और गाड़ी में यात्रा करने वालों पर ही आरोप लगाया गया है। हालांकि, इंजन या घोड़े द्वारा खींचे बिना गाड़ी की सवारी या साजिश संभव नहीं होती।"
कोर्ट ने कहा, "ऐसा लगता है कि ज्ञात कारणों को जानते हुए भी CBI ने केवल जरियों को आरोपी बनाया और डोर थामने वाले दिमाग या मास्टर माइंड को छोड़ दिया।"
रिपोर्ट
कोर्ट ने CBI को दिया चार सप्ताह का समय
कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया कि इस मामले में देशमुख की भूमिका की पूरी तत्परता के साथ और सावधानीपूर्वक एक समयबद्ध तरीके से जांच की जानी चाहिए। ऐसे में CBI को चार सप्ताह में बिना किसी विफलता के मामले की जांच करते हुए तथ्यात्मक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी का दिन निर्धारित किया है। ऐसे में अब क्लीन चिट मिलने के बाद भी देशमुख फिर से परेशानी में फंसते दिख रहे हैं।