पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप पर अमेरिका ने लगाया प्रतिबंध
क्या है खबर?
अमेरिका ने पेगासस स्पाईवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप पर प्रतिबंध लगा दिया है।
वाणिज्य विभाग ने बताया कि NSO ग्रुप और एक दूसरी इजरायली कंपनी कैंदिरू को ब्लैकलिस्ट कंपनियों की सूची में शामिल किया गया है। सबूत मिले हैं कि इन कंपनियों ने ऐसे स्पाईवेयर विकसित कर सरकारों को बेचे थे, जिनसे सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, कारोबारियों, कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों की जासूसी की गई।
अमेरिका अब इन कंपनियों के साथ किसी भी तरह की बिजनेस डील नहीं करेगा।
पृष्ठभूमि
क्या है पेगासस और इससे जुड़ा विवाद?
इजरायली कंपनी NSO ग्रुप पेगासस स्पाईवेयर बनाती है और उसका कहना है कि वह केवल सरकारों और अधिकृत एजेंसियों को ही अपना स्पाईवेयर बेचती है।
हालिया महीनो में पेगासस के डाटाबेस से दुनियाभर के 50,000 ऐसे नंबर मिले थे, जिन पर जासूसी या जासूसी की कोशिश की गई। इस डाटाबेस में करीब 1,000 नंबर भारत के लोगों से जुड़े हुए थे।
डाटाबेस लीक होने के बाद से ही पेगासस और NSO ग्रुप विवादों से घिरे हुए हैं।
बयान
अमेरिका ने कंपनी पर प्रतिबंध लगाते हुए क्या कहा है?
अमेरिका ने कहा है कि NSO ग्रुप और केंदिरू के बनाए टूल्स ने विदेशी सरकारों को अंसतोष दबाने के लिए दमन करने में सक्षम बनाया। इस तरह के कदम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा है।
वाणिज्य विभाग ने कहा कि उसका यह कदम मानवाधिकारों को अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रखने का हिस्सा है और इसका लक्ष्य नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा बढ़ाना, साइबर खतरों का सामना करना और गैरकानूनी निगरानी को दूर करना है।
प्रतिक्रिया
NSO ग्रुप ने फैसले पर जताई निराशा
अमेरिका के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए NSO ग्रुप ने कहा कि इसकी टेक्नोलॉजी ने आतंकवाद और अपराध रोकने के साथ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने में मदद की है।
कंपनी ने कहा, "हमारे पास सबसे सख्त अनुपालन है और हम मानवाधिकारों का भी कड़ाई से पालन करते हैं, जो अमेरिकी मूल्यों पर आधारित हैं और जिसके हम सहभागी हैं। इसके चलते हमारे दुरुपयोग करने वाली सरकारी एजेंसियों के साथ हमारे कई कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुके हैं।"
जानकारी
भारत में भी होगी स्वतंत्र जांच
भारत में भी पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच होगी। विशेषज्ञों की एक समिति सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और करीब दो महीने बाद इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
आदेश पारित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राज्य हर बार राष्ट्र सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं उठाकर बच नहीं सकता। केंद्र सरकार को यहां अपना स्टैंड साफ करना था और वो कोर्ट को सिर्फ मूकदर्शक बनाकर नहीं छोड़ सकती। केंद्र की तरफ से साफ खंडन नहीं किया गया।