सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मृतकों के परिजनों को 10 दिन में मुआवजा देने को कहा
कोरोना वायरस महामारी से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के दिए जाने वाले मुआवजे के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने कहा कि राज्यों को मुआवजे के संबंध में आवेदन मिलने के 10 दिन के भीतर भुगतान करना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) के सदस्य सचिव से समन्वय के लिए समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोविड मृतकों के परिजनों को मिलने हैं 50,000 रुपये
बता दें कि मुआवजे से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जून में केंद्र सरकार को कोविड मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया था। हालांकि, उसने मुआवजे की राशि तय करने की छूट सरकार को दी थी। इसके बाद केंद्र ने 50,000 रुपये का मुआवजा देने की योजना बनाई थी जिसे अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। ये 50,000 रुपये अन्य किसी योजना के तहत मिल रहे लाभ से अलग होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अनाथों का विवरण देने के लिए दिया सात दिन का समय
जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने राज्यों द्वारा SLSA को अनाथों का विवरण नहीं दिए जाने पर भी नाराजगी जताई। इस दौरान पीठ ने राज्य सरकारों को आज (शुक्रवार) से एक सप्ताह के भीतर संबंधित SLSA के पास नाम, पता और मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ-साथ अनाथों के संबंध में पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और कहा कि इसमें विफल रहने पर मामले को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।
तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किए जाने चाहिए आवेदन- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजे की मांग वाले आवेदनों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए और यदि उनकी तकनीकी खामी रहती है तो संबंधित राज्यों को उन्हें ठीक करने का अवसर देना चाहिए। कल्याणकारी राज्य का अंतिम लक्ष्य पीड़ितों को कुछ सांत्वना और मुआवजा देना होता है। इसी तरह कोर्ट ने कहा कि राज्यों को दावा मिलने के 10 दिन की अधिकतम अवधि में पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रयास करना चाहिए।
"राज्यों ने नहीं दिया मुआवजे का पूरा विवरण"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने पिछले आदेश में राज्यों से अपने पोर्टल पर दर्ज कोविड मौतों की पूरी जानकारी के साथ दिए गए मुआवजे का विवरण मांगा था, लेकिन अधिकतर राज्यों ने केवल आंकड़े ही प्रस्तुत किए हैं और मुआवजे का पूर्ण विवरण नहीं दिया।"
SLSA की है पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिलाने की जिम्मेदारी- सु्रपीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SLSA का प्रयास मुआवजे के लिए संपर्क नहीं करने वाले परिवारों तक पहुंचने का होगा और उनसे आवेदन दाखिल कराएगा। इसी तरह सभी राज्य सरकारें एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करेगी, जो मुख्यमंत्री सचिवालय में उपसचिव के पद से नीचे का नहीं होगा। वह अधिकारी SLSA सदस्य सचिव के साथ संपर्क में रहेगा और देखेगा कि आवेदन पात्र व्यक्तियों से प्राप्त हुए हैं। इसके बाद मुआवजे की प्रक्रिया पूरी कराएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की मांग के लिए ऑफलाइन आवेदनों को खारिज करने पर महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ ऑनलाइन आवेदन लेने का प्रावधान बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है। सरकार पीड़ितों के ऑफलाइन आवेदन कैसे खारिज कर सकती हैं? क्या सुदूर गांवों में रहने वाले गरीब और कम पढ़े लिखे लोग ऑनलाइन आवेदन करने में सक्षम होंगे? कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को सात दिन में स्थिति सुधारने के निर्देश दिए हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
सरकार के अनुसार, मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए मृतकों के परिजनों को जिला स्तरीय आपदा प्रबंधक कार्यालय में आवेदन करना होता है। इसके साथ उन्हें करोना से हुई मौत का सुबूत यानी मेडिकल प्रमाण पत्र देना होगा। इसके बाद कार्यालय द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दावे, सत्यापन, मंजूरी और मुआवजे के अंतिम भुगतान की प्रक्रिया मजबूत लेकिन सरल और लोगों के अनुकूल प्रक्रिया के माध्यम से हो। सभी दावों का 30 दिन में निपटारा करना होता है।