एल्गार परिषद मामला: तीन साल बाद जेल से रिहा हुईं अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, मिली सशर्त जमानत
क्या है खबर?
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले पिछले तीन सालों से जेल में बंद अधिवक्ता-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को आखिरकार गुरुवार को जेल से रिहा कर दिया गया है।
वह इस मामले में डिफॉल्ट (स्वत:) जमानत प्राप्त करने वाली पहली शख्स है।
हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने उन्हें यह जमानत 50,000 रुपये के जमानती मुचलके और कई तरह की सख्त शर्तों के आधार पर दी है। ऐसे में भारद्वाज पर रिहाई के बाद भी बंदिश रहेगी।
पृष्ठभूमि
एल्गार परिषद की संगोष्ठी में भड़काऊ भाषण देने के बाद भड़की थी हिंसा
बता दें कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद की संगोष्ठी में सुधा भारद्वाज द्वारा किए गए भाषण के बाद अगले ही दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
पुलिस ने मामले की जांच के बाद संगोष्ठी को माओवादियों के समर्थन होने का दावा किया था।
उसके बाद पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) में मामला दर्ज कर 28 अगस्त, 2018 को सुधा को गिरफ्तार किया था।
जांच
पुणे पुलिस ने NIA को सौंपी थी मामले की जांच
पुणे पुलिस ने सुधा सहित 16 लोगों को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू की थी। गिरफ्तारी के बाद सुधा को पुणे की यवरडा जेल में रखा गया था, लेकिन 2019 में पुलिस ने मामले की जांच NIA को सौंप दी थी।
जिसके बाद सुधा को भायखला महिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। मामले की सुनवाई अभी बाकी है।
NIA ने भी सुधा को माओवादियों से संबंध रखने और संगोष्ठी में भड़काऊ भाषण देने का दोषी माना था।
जानकारी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल खारिज कर दी थी जमानत याचिका
सुधा ने अगस्त 2020 में भी बीमारी का हवाला देकर बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका दी थी। उन्होंने कहा था कि तबीयत खराब होने के कारण उनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा है, लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिका
सुधा सहित नौ लोगों ने दायर की थी जमानत याचिका
NDTV के अनुसार, मामले में गिरफ्तार सुधा भारद्वाज, सुधीर दावाले, वरवर राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा ने पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट में डिफॉल्ट जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 1 दिसंबर को पुलिस की तकनीकी खामी का लाभ देते हुए सुधा को तो जमानत दे दी थी, लेकिन आठ अन्य आरोपियों को जमानत को खारिज कर दिया था।
चुनौती
NIA ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत की शर्तों के लिए सुधा को 8 दिसंबर को NIA कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
इसके बाद NIA ने जमानत का विरोध करते हुए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इससे सुधा की रिहाई अटक गई थी, लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा था कि उन्हें हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कारण नहीं दिखता है।
शर्त
NIA कोर्ट ने बुधवार को निर्धारित की जमानत की शर्ते
याचिका खारिज होने के बाद NIA कोर्ट ने बुधवार को सुधा की जमानत की शर्तों को तय किया था। इसमें उन्हें 50,000 रुपये का जमानती मुचलका देने, अपना पासपोर्ट जमा कराने, जमानत अवधि के दौरान मुंबई में ही रहने, मुंबई छोड़ने के लिए कोर्ट की अनुमति लेने और मीडिया से बातचीत नहीं करने का आदेश दिया है।
इसी तरह उन्हें सह-आरोपियों के साथ संपर्क स्थापित नहीं करने और कोई अंतरराष्ट्रीय कॉल नहीं करने के लिए भी पांबद किया है।
रिहाई
सुधा को गुरुवार सुबह किया गया जेल से रिहा
NIA कोर्ट की ओर से तय की गई जमानत की शर्तों पर सहमति जताने के बाद गुरुवार सुबह सुधा को जेल से रिहा कर दिया गया है।
सुधा के वकील युग मोहित चौधरी ने मीडिया से बात करने पर पाबंदी को उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।
कोर्ट ने सुधा को हर 15 दिन में निकटतम पुलिस स्टेशन में शारीरिक रूप से या वीडियो कॉल के माध्यम से पेश होने को भी कहा है।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखें सुधा भारद्वाज की रिहाई का वीडियो
#WATCH | Advocate-activist Sudha Bharadwaj, an accused in Bhima Koregaon case, released from Byculla jail in Mumbai pic.twitter.com/IDyq3ItsUr
— ANI (@ANI) December 9, 2021