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    सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, कहा- कोरोना संक्रमण से मौत पर मिलेगा 50,000 का मुआवजा
    कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों को मिलेगा 50,000 का मुआवजा।

    सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का जवाब, कहा- कोरोना संक्रमण से मौत पर मिलेगा 50,000 का मुआवजा

    लेखन भारत शर्मा
    Sep 22, 2021
    07:02 pm

    क्या है खबर?

    देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए थोड़ी राहत की खबर आई है।

    केंद्र सरकार ने इस दिशा में आगे कदम उठाते हुए कोरोना महामारी से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये देने का निर्णय किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी है।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर फटकार लगाई थी।

    प्रकरण

    मुआवजे के लिए दाखिल की गई थी याचिका

    बता दें कि कोरोना महामारी से हुई मौतों के बाद कुछ मृतकों के परिजनों ने सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

    इसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जिनकी कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनके परिजनों को आपदा अधिनियम के तहत चार लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।

    याचिकाकर्ताओं ने कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े करते हुए उसके समाधान की मांग की थी।

    असमर्थता

    केंद्र सरकार ने मुआवजा देने में जताई थी असमर्थता

    इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मुआवजा देने में असमर्थता जताई थी।

    सरकार ने कहा था कि ऐसा करना संभव नहीं है, इसकी बजाय सरकार का फोकस हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर है।

    केंद्र ने यह भी जानकारी दी गई थी कि चार लाख रुपये का मुआवजा किसी आपदा में मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को दिया जा रहा है, लेकिन किसी महामारी के वक्त में ऐसा नहीं किया जा सकता है।

    आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे मुआवजा देने के आदेश

    मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोरोना महामारी से जान गंवाने वालों को सरकार को आपदा अधिनियम के तहत मुआवजा देना होगा। हालांकि, कोर्ट ने मुआवजा राशि का निर्धारित करने की स्वतंत्रता सरकार को दी थी।

    कोर्ट ने कहा था कि सभी मौतों पर चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, लेकिन मृतकों के परिजनों को कम से कम मुआवजा तो मिलना ही चाहिए।

    फटकार

    सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा नीति नहीं बनाने पर केंद्र को लगाई थी फटकार

    मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जल्द मुआवजा नीति तैयार करने तथा मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया बनाते हुए उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। इसके बाद भी सरकार ने मुआवजा नीति तैयार नहीं की थी।

    इसको लेकर 3 सितंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई थी।

    कोर्ट ने कहा था कि आदेश के बाद भी सरकार ने कुछ नहीं किया। सरकार कुछ करेगी तब तक महामारी की तीसरी लहर खत्म हो जाएगी।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया था 11 सितंबर तक का समय

    अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने देरी पर खेद जताते हुए मुआवजा नीति को अंतिम रूप देने के लिए 10 दिन का समय मांगा था। कोर्ट ने मांग को खारिज करते हुए सरकार को 11 सितंबर तक हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए थे।

    हलफनामा

    राज्य आपदा कोष से किया जाएगा मुआवजे का भुगतान

    केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि देश में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजे की यह राशि सभी राज्य अपने आपदा राहत कोष से मृतकों के परिजनों को देंगे।

    सरकार ने बताया कि अगली अधिसूचना तक यह मुआवजा राशि दी जाती रहेगी। इसमें उन मृतकों के परिवारों को भी मुआवजा दिया जाएगा जो कोरोना राहत कार्यों में शामिल थे।

    प्रक्रिया

    क्या रहेगी मुआवजा हासिल करने की प्रक्रिया?

    सरकार ने बताया कि मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए मृतकों के परिजनों को जिला स्तरीय आपदा प्रबंधक कार्यालय में आवेदन करना होगा। इसके साथ करोना से हुई मौत का सुबूत यानी मेडिकल प्रमाण पत्र देना होगा।

    इसके बाद कार्यालय द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दावे, सत्यापन, मंजूरी और अनुग्रह राशि के अंतिम भुगतान की प्रक्रिया मजबूत लेकिन सरल और लोगों के अनुकूल प्रक्रिया के माध्यम से हो। सभी दावों का 30 दिन में निपटारा कर दिया जाएगा।

    समिति

    शिकायतों के निवारण के लिए गठित की जाएगी जिला स्तरीय समिति

    केंद्र ने बताया कि मुआवजे से संबंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए सभी जिलों में अतिरिक्त जिला कलक्टर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMOH), अतिरिक्त CMOH, प्रधानाचार्य या मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष के निर्देशन में एक जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी।

    यह समिति तथ्यों का सत्यापन करने के बाद संशोधित आधिकारिक दस्तावेज जारी करने सहित आवश्यक उपचारात्मक उपायों का प्रस्ताव करेगी। आवेदक के खिलाफ निर्णय देने के लिए समिति को स्पष्ट कारण बताना होगा।

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