सुपरटेक की ध्वस्त हुए टावरों की जगह स्वीकृत टावर खड़े करने की योजना
रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड नोएडा के सेक्टर-93 में स्थित एमराल्ड कोर्ट परिसर में गिराए गए टि्वन टावरों की जगह पर नया निर्माण कर सकती है। हालांकि, इस बार नए टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण से आवश्यक मंजूरी मिलने और एमराल्ड कोर्ट में रहने वाले लोगों की सहमति लेने के बाद ही किया जाएगा। कंपनी के प्रबंध निदेशक आरके अरोड़ा ने यह जानकारी दी है। ऐसे में अब इस जगह पर दोबारा निर्माण की उम्मीद बढ़ गई है।
27 अगस्त को गिराए गए थे टावर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गत 27 अगस्त की दोपहर 2:30 बजे 40 और 39 मंजिल के दोनों टावरों को ध्वस्त किया गया था। इसी के साथ टावरों के निर्माण को लेकर सात सालों से चली आ रही कानूनी लड़ाई का भी अंत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को सुपरटेक और एडिफिस इंजीनियरिंग को दिसंबर में दिए अपने आदेशों की पालना के निर्देश दिए थे। इस कार्रवाई से सुपरटेक को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
आवासीय योजना को नोएडा प्राधिकरण ने साल 2009 में दी थी मंजूरी- अरोड़ा
अरोड़ा ने समाचार एजेंसी ANI से कहा, "टावर सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं और नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर बनाए गए थे। इस आवासीय योजना को साल 2009 में नोएडा प्राधिकरण ने मंजूरी दी थी उन्होंने सभी भवन उप-नियमों का सख्ती से पालन किया था।" उन्होंने आगे कहा, "आवासीय योजना से किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं थी। इसका निर्माण अधिकारियों को पूरा भुगतान करने के बाद किया गया था।"
ट्विन टावर में फ्लैट खरीददारों को 95 प्रतिशत भुगतान किया- अरोड़ा
अरोड़ा ने कहा, "सुपरटेक ने टावरों को ध्वस्त करने में आई 20 करोड़ रुपये की लागत में से 17.5 करोड़ का भुगतान किया है और विध्वंस से उसे 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।" उन्होंने कहा, "टावरों में फ्लैट खरीदने वालों को 95 प्रतिशत भुगतान कर दिया है। शेष पांच प्रतिशत के लिए या तो उन्हें जमीन दी जा रही है या फिर ब्याज सहित पैसा दे रहे हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना कर रहे हैं।"
यहां देखें टावरों को गिराने का वीडियो
नौ सेकंड में जमींदोज हुए दोनों टावर
दोनों टावरों को विस्फोट कर गिराया गया था। इसके लिए दोनों में करीब 9,400 छेद कर 3,500 किलोग्राम विस्फोटक भरा गया था। यही कारण था कि महज नौ सेकंड में दोनों टावर जमींदोज हो गए। धमाके के बाद उठे धूल के गुबार को जमीन पर बैठने के लिए 12 मिनट का समय लगा। आसपास की इमारतों को नुकसान से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए गए थे। टावरों को गिराने का काम एडिफिस इंजीनियरिंग एजेंसी को सौंपा गया था।
टावरों को क्यों गिराया गया?
सुपरटेक बिल्डर्स ने साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा के सेक्टर-93 में एमराल्ड कोर्ट परिसर में 40 और 39 मंजिल के दो नए टावरों का निर्माण किया था। 950 फ्लैट वाले दोनों टावरों के निर्माण के समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति भी नहीं ली गई थी और इनका निर्माण पार्क के रास्ते पर किया गया था। दोनों टावरों के बीच की दूरी कम होने से लोगों को रोशनी और हवा की परेशानी हो रही थी।