सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई मोहम्मद जुबैर की अंतरिम जमानत, लेकिन जेल में रहेंगे बंद
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में दर्ज मुकदमे में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया है। कोर्ट ने उनकी जमानत को चार हफ्ते के लिए बढ़ाया है और उत्तर प्रदेश पुलिस से इतने दिनों में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी। जुबैर को यह राहत केवल सीतापुर से संबंधित मामले में ही मिली है, इसका मतलब वह अन्य मामलों में जेल में ही बंद रहेंगे।
सीतापुर मामले में जुबैर पर क्या आरोप हैं?
सीतापुर में धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वाले "हिंदू साधुओं" को नफरत फैलाने वाले बताने के लिए उनके खिलाफ यह FIR दर्ज की गई है। जुबैर पर आरोप है कि ये ट्वीट करते हुए उन्होंने इन साधुओं के फॉलोवर्स की भावनाओं को आहत किया। लखीमपुर खीरी पुलिस ने भी एक मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी किया है।
14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं जुबैर
जुबैर फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। 2 जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए पटियाला कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। जुबैर अपने खिलाफ हुई इस कार्रवाई के विरोध में हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इस सुनवाई में उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ उनके धर्म और फैक्ट चेकिंग के उनके काम के कारण कार्रवाई हो रही है।
27 जून को गिरफ्तार किए गए थे जुबैर
बता दें कि एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 27 जून को मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया था। अपने इस ट्वीट में तीन दशक पहले की एक फिल्म से एक होटल के साइनबोर्ड की तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा था, '2014 से पहले: हनीमून होटल और 2014 के बाद: हनुमान होटल।' हनुमान भक्त नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने ट्वीट कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
पूरा विपक्ष कर चुका है जुबैर पर कार्रवाई की आलोचना
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक, विपक्ष के लगभग हर नेता ने जुबैर के खिलाफ इस कार्रवाई की आलोचना की है और सरकार पर स्वतंत्र पत्रकारों को दबाने का आरोप लगाया है। जुबैर के समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ ये कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा की टिप्पणी को उजागर किया था, जिसके बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी।