सितंबर से स्पूतनिक-V वैक्सीन का उत्पादन शुरू करेगा सीरम इंस्टीट्यूट
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) सितंबर से रूस की स्पूतनिक-V बनाना शुरू करेगी। रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने आज इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उसका भारत में हर साल वैक्सीन की 30 करोड़ खुराकें बनाने का लक्ष्य है। उसने कहा कि उत्पादन के लिए SII को तकनीक का ट्रांसफर शुरू हो गया है और सितंबर में वैक्सीन की पहली खेप आ सकती है। SII को गामालेया सेंटर से सेल और वेक्टर के सैंपल मिल चुके हैं।
अदर पूनावाला ने कहा- आने वाले महीनों में करोड़ों खुराकें बनाने की उम्मीद
SII प्रमुख अदर पूनावाला ने इस पर खुशी जताते हुए कहा, "स्पूतनिक वैक्सीन के उत्पादन के लिए RDIF से साझेदारी करके मुझे खुशी हो रही है। हमें आने वाले महीनों में करोड़ों खुराकें बनाने की उम्मीद है और ट्रायल खेप सितंबर में आ सकती है।" उन्होंने आगे कहा, "उच्च प्रभावशीलता और सुरक्षित होने के कारण ये महत्वपूर्ण है कि भारत और दुनियाभर के लोगों के लिए ये उपलब्ध हो।" उन्होंने देशों और संगठनों के साथ आने पर जोर दिया।
SII को हाल ही में मिली थी स्पूनतिक के उत्पादन की मंजूरी
बता दें कि SII को हाल ही में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से स्पूतनिक का उत्पादन करने और निर्यात करने की मंजूरी मिली थी। इसके अलावा वह कोविशील्ड और कोवावैक्स का उत्पादन भी कर रही है।
स्पूतनिक को अप्रैल में मिली थी आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
स्पूतनिक-V को 13 अप्रैल को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। इस वैक्सीन को सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके तैयार किया गया है। कई देशों में हुए ट्रायल्स में स्पूतनिक-V को 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था और यह कोरोना की सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीनों में शुमार है। भारत में स्पूतनिक का लाइसेंस हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैब के पास है और RDIF के साथ उसका आधिकारिक समझौता है।
भारत में हर साल 85 करोड़ खुराकें बनाने की योजना
RDIF ने अन्य कुछ भारतीय कंपनियों के साथ भी उत्पादन का समझौता किया है और उसका लक्ष्य हर साल 85 करोड़ खुराकों का उत्पादन करने का है। इन कंपनियों में हेटेरो फार्मा, ग्लैंड फार्मा लिमिटेड, स्टेलिस बायोफार्मा प्राइवेट लिमिटेड और विरकोव बायोटेक लिमिटेड शामिल हैं।
खुराकों की कमी के कारण भारत में धीमी पड़ गई है वैक्सीनेशन की रफ्तार
स्पूतनिक से संबंधित ये खबर ऐसे समय पर आई है जब भारत को वैक्सीन की कमी का सामना करना पड़ रहा है और इसके कारण वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी हो गई है। नए चरण की शुरूआत के बाद 21-27 जून के हफ्ते में देश में रोजाना औसतन 61.14 लाख खुराकें लगीं, वहीं 28 जून से 4 जुलाई वाले हफ्ते में ये आंकड़ा गिरकर रोजाना 41.92 लाख खुराक और 5-11 जुलाई के पिछले हफ्ते में 34.32 लाख खुराक पर आ गया।
सरकार को उम्मीद- दिसंबर तक सभी वयस्कों को लग जाएगी वैक्सीन
हालांकि इसके बावजूद केंद्र सरकार ने दिसंबर तक सभी वयस्कों के वैक्सीनेशन का उसका लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद जताई है। सरकार का कहना है कि अगस्त में वैक्सीन की सप्लाई बढ़कर 16-18 करोड़ हो जाएगी, वहीं सितंबर में उसके पास 30 करोड़ से अधिक खुराकें आएंगी। SII ने भी जुलाई से कोविशील्ड की प्रति महीने 10-11 करोड़ खुराकें बनाने का लक्ष्य पूरा होने का ऐलान किया है। हालांकि जमीन पर इसका असर दिखना अभी बाकी है।
देश में वैक्सीनेशन अभियान की क्या स्थिति?
देश में सोमवार तक कोरोना वैक्सीन की कुल 38,14,67,646 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। यहां 30,66,12,781 लोगों को कम से कम एक खुराक लगाई जा चुकी है, वहीं 7,48,54,865 लोगों को दोनों खुराकें लगाई जा चुकी हैं। सोमवार को 40,65,862 खुराकें लगाई गईं। अभी देश में तीन कोरोना वायरस वैक्सीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V शामिल हैं। कोविशील्ड का उपयोग सबसे ज्यादा हो रहा है।