कोविशील्ड की खुराकों का अंतराल: वैज्ञानिक बोले- दोगुना करने को नहीं कहा, सरकार ने किया खंडन
भारत सरकार ने बीते महीने कोरोना वायरस वैक्सीन कोविशील्ड की दोनों खुराकें के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला किया था। सरकार का कहना था कि ऐसा उसने विशेषज्ञों के समूह की सिफारिश के आधार पर किया है, लेकिन इस समूह के तीन सदस्यों ने इससे इनकार किया है। इन्होंने कहा है कि समूह ने खुराकें के अंतराल को सिर्फ 8-12 हफ्ते करने को कहा था, जबकि सरकार ने अंतराल को 12-16 सप्ताह किया है।
क्या है मामला?
मई मध्य में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वह नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) की सिफारिशों पर कोविशील्ड की खुराकों के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर रहा है। सरकार का कहना था कि NTAGI ने ब्रिटेन से मिले सबूतों के आधार पर यह सिफारिश की है। हालांकि, इसमें शामिल वैज्ञानिकों ने कहा है कि उनके पास ऐसी सिफारिश करने के लिए पर्याप्त डाटा ही मौजूद नहीं है।
तीसरी बार बढ़ाया गया अंतराल
जनवरी में कोविशील्ड की खुराकों के बीच अंतराल 28 दिन था। पहले इसे बढ़ाकर 6-8 सप्ताह किया गया और बाद में मई में फिर इसे बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि इससे वैक्सीन की प्रभावकारिता बढ़ती है और यह अधिक सुरक्षा देती है। यह फैसला ऐसे समय लिया गया था जब देश में खुराकों की भारी कमी चल रही थी। फैसले को उस कमी से जोड़कर भी देखा गया था।
"NTAGI ने कही थी 8-12 सप्ताह के अंतराल की बात"
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के पूर्व निदेशक एमडी गुप्ते ने कहा कि NTAGI ने अंतराल को बढ़ाकर 8-12 सप्ताह करने को कहा था, लेकिन इसके पास 12 सप्ताह के बाद दूसरी खुराक देने से होने वाले असर का कोई डाटा नहीं था। उन्होंने कहा, "8-12 सप्ताह सभी मानते हैं। 12-16 सप्ताह की वजह सरकार ही बता पाएगी। यह ठीक हो भी सकता है और नहीं भी। इस पर हमारे पास कोई सूचना नहीं है।"
सरकार ने कहा- वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर लिया गया फैसला
NTAGI में गुप्ते के सहकर्मी मैथ्यू वर्गीज भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहते हैं कि समूह ने अंतराल को केवल 8-12 सप्ताह करने को कहा था। दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्रालय ने NTAGI के वर्किंग ग्रुप के प्रमुख का हवाला देते हुए कहा कि यह फैसला वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर पारदर्शी तरीके से लिया गया था और इसे लेकर NTAGI के सदस्यों में किसी प्रकार का कोई मतभेद नहीं था।
अरोड़ा बोले- सर्वसम्मति से लिए जाते हैं फैसले
कोरोना पर बने कोविड वर्किंग ग्रुप के सदस्य जेपी मुलियिल ने कहा कि NTAGI में वैक्सीन की खुराकें के अंतराल को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन इसने 12-16 हफ्तों के अंतराल की सिफारिश नहीं की थी। रॉयटर्स ने जब इस बारे में NTAGI के प्रमुख एनके अरोड़ा से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि सभी फैसले मिलकर और सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।
सरकार ने कहा- अंतराल कम करने पर हड़बड़ी की जरूरत नहीं
बीते सप्ताह केंद्र सरकार ने कहा था कि कोविशील्ड की खुराकों के अंतराल में तुरंत बदलाव को लेकर हड़बड़ी की जरूरत नहीं है और समय कम करने के लिए भारत के लिहाज से वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है। दरअसल, कई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच का समय कम करना चाहिए। इस पर नीति आयोग सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि ऐसी चिंताओं पर संतुलित रवैये की जरूरत है।
भारत में प्रमुखता से इस्तेमाल हो रही है कोविशील्ड
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा बनाई गई कोविशील्ड भारत के वैक्सीनेशन अभियान में प्रमुखता से इस्तेमाल हो रही है। भारत में अब तक लगाई गईं लगभग 25.9 करोड़ खुराकों में से 90 प्रतिशत खुराकें कोविशील्ड की हैं। एस्ट्राजेनेका की यह वैक्सीन सबसे ज्यादा देशों में मंजूरी वाली वैक्सीन है। इस वैक्सीन के लिए दुनिया के कई देश सीरम इंस्टीट्यूट पर निर्भर हैं।