RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बनाया ट्विटर अकाउंट, फेक अकाउंट्स में नाम का दुरुपयोग रोकना मकसद
ट्विटर पर मौजूदगी रखने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की फेहरिस्त में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी जुड़ गया है। सोमवार को उनके आधिकारिक ट्विटर अकाउंट की घोषणा की गई। भागवत के अलावा RSS के अन्य बड़े पदाधिकारियों ने भी ट्विटर पर अपने सफर का आगाज किया है। संगठन का कहना है कि ऐसा इन पदाधिकारियों के झूठे अकाउंट के जरिए अफवाह फैलाने वालों को रोकने के लिए किया गया है।
मई में बनाया गया अकाउंट, अभी तक कोई ट्वीट नहीं
RSS सरसंघचालक भागवत के ट्विटर हैंडल @DrMohanBhagwat है। अकाउंट मई में बनाया गया था, लेकिन ये वेरिफाई और आधिकारिक अब हुआ है। भागवत ने अभी तक एक भी ट्वीट नहीं किया है। उनके अलावा जो अन्य पदाधिकारी ट्विटर से जुड़े हैं, उनमें सुरेश जोशी, सुरेशी सोनी, कृष्णा गोपाल, अरुण कुमार और अनिरुद्ध देशपांडे आदि शामिल हैं और उनके अकाउंट भी वेरिफाइड हैं। ये सभी मई-जुलाई के बीच में ट्विटर से जुड़े हैं।
ट्विटर पर कम एक्टिव रहते हैं RSS और उसके पदाधिकारी
बता दें कि RSS का खुद का आधिकारिक ट्विटर पेज है, जिस पर 13 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। हालांकि, ये ज्यादा एक्टिव नहीं है और 2011 में अकाउंट बनने के बाद से अब तक मात्र 1,100 ट्वीट किए गए हैं। दत्तात्रेय होसबोले उन चंद RSS पदाधिकारियों में शामिल हैं जो ट्विटर पर लगातार एक्टिव रहते हैं। लेकिन RSS और उसके नेताओं के नाम पर कई अनाधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स चलते हैं और लाखों लोग उन्हें फॉलो करते हैं।
फेक अकाउंट और अफवाहों को रोकने के लिए बनाए गए ट्विटर अकाउंट
RSS के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को बताया कि ये फेक अकाउंट और पोस्ट को रोकने के लिए भागवत समेत अन्य पदाधिकारी ट्विटर पर आए हैं। उन्होंने कहा, "हमारी नजर में सरसंघचालक भागवत, महासचिव सुरेश जोशी और अन्य नेताओं के कई फेक अकाउंट आए, जिनसे कई बार फेक पोस्ट की जातीं थीं।" उन्होंने कहा कि RSS पदाधिकारी भले ही नियमित ट्वीट न करें, लेकिन इन फेक अकाउंट में अब उनके नाम का दुरुपयोग नहीं किया जा सकेगा।
लोगों के बीच RSS की पहुंच सबसे अधिक
RSS की सोशल मीडिया पर उपस्थिति भले ही कम हो, लेकिन लोगों के बीच इसकी पहुंच देश के किसी भी अन्य संगठन से कई ज्यादा है। यही लोग सोशल मीडिया पर उसके विचारों का खुद से प्रचार-प्रसार करते हैं और RSS को सोशल मीडिया पर मजबूत आधिकारिक उपस्थिति की ज्यादा जरूरत महसूस नहीं होती। साढे 6 लाख कार्यकर्ता वाले RSS को केंद्र शासित भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता है।
बेहद अहम बन चुका है सोशल मीडिया
आधुनिक दौर में सोशल मीडिया लोगों तक पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा है और इसने संचार के सभी पारंपरिक माध्यमों को पीछे छोड़ दिया है। चुनावों पर भी इसका बेहद प्रभाव देखने को मिलता है और मुद्दे और लोगों के विचार प्रभावित करने में बेहद असरदार सिद्ध होता है। यही कारण है कि मायावती जैसे पारंपरिक नेताओं को भी लोकसभा चुनाव से पहले ट्विटर से जुड़ने पड़ा था।