कश्मीर में मारा गया बुरहान वानी का अंतिम साथी, 2 अन्य हिजबुल आतंकी भी ढेर
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के 3 आतंकियों को ढेर कर दिया है।
मारे गए आतंकियों में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी का आखिरी आजाद साथी लतीफ अहमद डार उर्फ लतीफ टाइगर भी शामिल था।
सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच शोपियां के इमाम साहिब इलाके में मुठभेड़ हुई थी।
मुठभेड़ में एक जवान के घायल होने की भी खबरें हैं।
अभियान अभी जारी है और इलाके में सर्च ऑपरेशन में चलाया जा रहा है।
जानकारी
सुरक्षा बलों को मिली थी आतंकियों के छुपे होने की खबर
सुरक्षा बलों को इलाके में आतंकियों के होने की खबर मिली थी, जिसके बाद वहां सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। इसके बाद आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच फायरिंग होने लगी, जिसमें 3 आतंकियों के मारे जाने की खबर है।
ट्विटर पोस्ट
मौके से हथियार भी जब्त
#UPDATE Shopian encounter: Two more terrorists killed, weapons and warlike stores recovered; Operation underway. https://t.co/2zKAd9rtgs
— ANI (@ANI) May 3, 2019
वायरल तस्वीर
वानी की वायरल तस्वीर में दिखा था लतीफ
मुठभेड़ में लतीफ टाइगर का सफाया करके सुरक्षा बलों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है।
वह बुरहान वानी की वायरल तस्वीर में दिखने वाले 11 आतंकवादियों में एकमात्र आजाद बचा सदस्य था।
इस 'बुरहान वानी गैंग' के 10 आतंकी मारे जा चुके हैं, जबकि एक आतंकी तारिक पंडित ने 2016 में कश्मीर में आत्मसमर्पण किया था।
पंडित की गिरफ्तारी के बाद टाइगर सुरक्षा बलों की गिरफ्त से बाहर बचा एकमात्र सदस्य था।
बुरहान वानी
आतंक का नया चेहरा बना था वानी
कश्मीर में आतंक का नया चेहरा बने हिजबुल आतंकी बुरहान वानी को 8 जुलाई, 2016 को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
उसके अंतिम संस्कार में हजारों लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा था।
इसके बाद घाटी में अशांति फैल गई थी और जमकर प्रदर्शन हुए थे, जिनमें 85 लोगों की मौत हुई थी और हजारों घायल हुए थे।
इन प्रदर्शनों के कारण कश्मीर में 4 महीने तक आम जीवन अस्त-व्यस्त रहा था।
सोशल मीडिया
इसलिए कश्मीर में लोकप्रिय हुआ था वानी
वानी के इतने लोकप्रिय होने के पीछे सोशल मीडिया का एक अहम योगदान था।
पुराने ढर्रे के विपरीत अपना मुंह छुपाने की बजाय वह और उसके साथी खुलेआम सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें शेयर करते थे।
ऐसी ही एक वायरल तस्वीर में उसके सारे साथी बंदूक हाथ में लिए हुए दिखे थे।
इन तस्वीरों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंक की राह का महिमामंडन करने के लिए किया जाता था।
इसे 'आतंक का सोशल मीडिया दौर' भी कहा जाता है।