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    क्या सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से जोड़ना होगा जरूरी? सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

    क्या सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से जोड़ना होगा जरूरी? सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
    लेखन मुकुल तोमर
    Apr 29, 2019, 06:36 pm 1 मिनट में पढ़ें
    क्या सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से जोड़ना होगा जरूरी? सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

    सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से लिंक करने के लिए याचिका दायर की गई। वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा कि वह भारत सरकार से फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से जोड़ने की उपयोगिता पर विचार करने को कहे। अश्विनी का कहना है कि यह कदम फेक न्यूज को रोकने में बेहद सहायक सिद्ध हो सकता है।

    बड़े लोगों के नाम पर चल रहे फेक अकाउंट्स

    अश्विनी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि इस समय देश में तकरीबन 3.5 करोड़ ट्विटर अकाउंट और 32.5 करोड़ फेसबकु अकाउंट सक्रिय हैं और सोशल मीडिया विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें से 10 प्रतिशत फेक हैं। याचिका के अनुसार, "प्रतिष्ठित व्यक्तियों और उच्च अधिकारियों के नाम पर सैकड़ों फेक ट्विटर और फेसबुक अकाउंट चल रहे हैं। इनमें वास्तविक तस्वीर इस्तेमाल की जाती है और आम आदमी इनके संदेशों पर भरोसा कर लेता है।"

    दंगे और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने में मददगार साबित हुए फेक अकाउंट्स

    याचिका में दावा किया गया है कि फेक सोशल मीडिया अकाउंट्स कई दंगों और सांप्रदायिक तनाव का मुख्य कारण रहे हैं, जोकि देश की शांति और एकता को खतरे में डालते हैं। याचिका के अनुसार, यह जरूरी है कि राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार खुद के प्रचार और छवि निर्माण के लिए इन फेक अकाउंट्स का प्रयोग न करें। इसमें कोर्ट को केंद्र सरकार को फेक अकाउंट डिएक्टिवेट करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

    मद्रास हाई कोर्ट में भी दायर की गई थी ऐसी ही याचिका

    यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया को आधार से लिंक करने की बात उठी है। इससे पहले अगस्त 2018 में भी मद्रास हाई कोर्ट में ऐसी ही याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सोशल मीडिया पर दुर्व्यवहार, गाली-गलौज, गलत जानकारी और प्रोपगैंडा को रोकने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। इस पर कोर्ट ने इसे खतरनाक बताया था और कहा था कि यह हर व्यक्ति के निजता के अधिकार को प्रभावित करेगा।

    केंद्र सरकार भी चाहती थी ऐसा

    इसके अलावा बीच में ऐसी भी खबरें आईं थीं कि केंद्र सरकार फेक न्यूज, ट्रॉलिंग और प्रोपगैंडा को रोकने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स का आधार के जरिए सत्यापन को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस पर कुछ ठोस सामने नहीं आया।

    आधार लिंक करने पर निजता को खतरा

    बता दें कि सोशल मीडिया के दौर पर फेक न्यूज एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है , जिनके जरिए सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जाती है। इन फेक न्यूज को मुख्य तौर पर फेक अकाउंट्स के जरिए ही फैलाया जाता है। हालांकि इन्हें रोकने के लिए सोशल मीडिया से आधार को जोड़ना एक बहुत सही कदम नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे लोगों की निजी जानकारी के लीक होने का खतरा बढ़ जाएगा।

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