खुद को भारतीय नहीं मानते कश्मीरी, चाहते हैं चीन उन पर शासन करे- फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कश्मीरियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कश्मीर में सुस्त पड़ी राजनीति में आग लगाने वाला दावा करते हुए कहा कि कश्मीरी लोग खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। वर्तमान में वह खुद को गुलाम और दोयम दर्जे का नागरिक मानते हैं। वह चाहते हैं कि भारत की जगह चाइनीज उन पर शासन करें। आइए जानें पूरी खबर।
सैनिकों की तैनाती हटते ही व्यापक स्तर पर होगा विरोध प्रदर्शन- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 के समाधान पर द वायर से बात की। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने घाटी के लोगों की भावनाओं को आहत किया है। पिछले एक साल से यहां शांति बनाए रखने के लिए कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ है, लेनिक यदि कश्मीर में लगी पाबंदियों को हटा दिया जाता है तो लोग व्यापाक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
भारत-चीन तनाव के बीच अब्दुल्ला ने की "चीनी शासन" की टिप्पणी
अब्दुल्ला ने दोहराया कि कश्मीरी लोग चाइनीज शासन चाहते हैं। उनकी विवादास्पद टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत-चीन के बीच सीमा पर उच्च स्तर का तनाव बना हुआ है। भारत बार-बार चीन से पीछे हटने को कह रहा है।
कश्मीरियों को भारत सरकार पर भरोसा नहीं है- उब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने दमनकारी नीति से जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के साथ ही कश्मीरियों का भरोसा पूरी तरह से खो दिया है। उन्होंने संसद में उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम से लगभग 72 घंटे पहले प्रधानमंत्री मोदी से साथ हुई बैठक के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस कदम के बारे में कोई संकेत नहीं दिया था और सुरक्षा के लिए सेना बढ़ाने की बात कही थी।
केंद्र ने मुझे गद्दार तो कश्मीरियों को भारतीय गुलाम के रूप में देखा- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आश्चर्यजनक रूप से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद कश्मीर के मुख्यधारा के सभी राजनेताओं को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि केंद्र ने उन्हें देशद्रोही के रूप में देखा और गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह कश्मीरी जनता को उन्होंने "भारतीय गुलाम" के रूप में देखा। उनका भारत माता की जय बोलने के लिए उपहास किया। इन सबका उन पर गहरा मानसिक आघात हुआ है।
अब्दुल्ला ने महबूबा को हिरासत में रखने पर उठाया सवाल
अब्दुल्ला अपनी राजनीतिक विरोधी महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी से भी नाराज दिखे। हालांकि, अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर को सात-आठ महीने बाद नजरबंदी से रिहा कर दिया गया, लेकिन PDP प्रमुख महबूबा की हिरासत बरकरार रही। अब्दुल्ला ने कहा, "क्या वह एक अपराधी हैं? यह कैसे हो सकता है कि उनका झुकाव मुझे प्रभावित नहीं करता। वह भी एक इंसान है।" बता दें कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को अगस्त 2019 में हिरासत में लिया गया था।
नेशनल कांफ्रेंस लोकतांत्रिक तरीके से करेगी चुनाव लड़ने पर निर्णय- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से कई शिकायतें होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों से उनकी पार्टी की याचिका पर जल्द सुनवाई की अपील की। नेशनल कांफ्रेंस के विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से इस पर फैसला करेगी। बता दें उमर अब्दुल्ला ने घोषणा की थी कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल होने तक पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी।
अब्दुल्ला ने अंतिम सांस तक कश्मीर की गरिमा के लिए लड़ने का लिया संकल्प
82 वर्षीय अब्दुल्ला ने कहा कि सभी दलों ने सामूहिक रूप से घोषणा करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल कराने की मांग की है। इस मांग को गत 22 अगस्त को भी दोहराया गया था। अब्दुल्ला ने अपनी अंतिम सांस तक शांति के साथ "कश्मीरियों की गरिमा" के लिए लड़ने का संकल्प लिया। बता दें कि अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 और 35A को हटाए जाने के बाद गत दिनों पहली बार लोकसभा के मानसून सत्र में हिस्सा लिया था।