रेयान स्कूल मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की आरोपी छात्र की जमानत याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के छात्र की हत्या करने वाले आरोपी छात्र की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। सितंबर 2017 में घटित इस वारदात के समय आरोपी रेयान स्कूल में 11वीं कक्षा छात्र था। उसकी उम्र 16 से 18 साल के बीच थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी। बता दें कि इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी।
आरोपी ने गला रेतकर की थी मासूम छात्र की हत्या
बता दें आरोपी ने 8 सितंबर, 2017 को कक्षा 2 के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की स्कूल के वॉशरूम में गला रेतकर कर हत्या की थी। हत्या की सूचना के कुछ घंटों बाद ही हरियाणा पुलिस ने दावा किया था कि उसने मामले को सुलझा लिया है और हत्यारे स्कूल बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मृतक छात्र के साथ यौन उत्पीड़न का भी दावा किया था। पुलिस ने कंडक्टर कुमार को जमकर यातनाएं भी दी थी।
कंडक्टर की गिरफ्तारी के बाद भी संतुष्ट नहीं था परिवार
मामले में हरियाणा पुलिस ने कंडक्टर द्वारा अपराध कबूल करने की बात कही थी और और यह भी बताया था कि वारदात में काम लिया चाकू भी बरामद कर लिया। हालांकि, प्रद्युम्न का परिवार इससे संतुष्ट नहीं हुआ और उसने आरोप लगाए कि पुलिस मामले को जल्द बंद करना चाहती है। मामले में हंगामा होने के बाद CBI को जांच सौंप दी गई। जांच में कंडक्टर निर्दोष पाया गया। उसने अधिकारियों के बताया था कि उसने हत्या नहीं की है।
जांच के बाद CBI ने मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार
वारदात के कई सप्ताह बाद CBI ने मामले में स्कूल के ही एक 16 वर्षीय अन्य छात्र को गिरफ्तार किया था। यह पहली बार हुआ था कि CBI ने किसी छात्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। नवंबर 2017 में CBI ने कहा कि आरोपी छात्र ने अपराध स्वीकार कर लिया है। उसने परीक्षाएं स्थगित कराने के लिए हत्या की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न का खुलासा नहीं हुआ और CBI ने 2018 में चार्जशीट फाइल कर दी।
कई बार खारिज हो चुकी है आरोपी छात्र की जमानत याचिका
दिसंबर 2017 में किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ करार देते हुए उससे व्यस्क की तरह बर्ताव करने की बात कही थी। उसके बाद अक्टूबर 2018 में गुरुग्राम किशोर न्याय बोर्ड ने उसे जमानत देने से इनकार कद दिया। एक महीने बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आदेश को बरकरार रखा। इस साल जुलाई में हाईकोर्ट ने भी उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरिमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमने शिकायतकर्ता के वकील सहित सभी पक्षों के वकीलों को विस्तार से सुना है। कोर्ट ने कहा, "चूंकि याचिकाकर्ता की सिर्फ एक वयस्क के रूप में जमानत के मकसद से सुनवाई हो रही है, इसलिए हमें इस समय हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप की वजह नजर नहीं आती। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।"
आरोपी ने याचिका में दिया कोरोना वायरस का उदाहरण
सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी गलत की है कि इस मामले में साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। इसके अलावा तर्क दिया कि कोरोना वायरस के कारण ट्रायल अभी शुरू नहीं होगी। इसी बीच CBI ने जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि आरोपी के साथ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। न्याय प्रक्रिया से बचने के लिए किशोर न्याय कानून का सहारा नहीं लिया जा सकता।