जम्मू-कश्मीर: अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के खिलाफ विपक्ष एकजुट, सरकार पर गरीबों को बेघर करने का आरोप
क्या है खबर?
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में प्रशासन के अतिक्रमण विरोध अभियान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने अधिकारियों पर गरीबों और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।
विपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार लोगों को बेघर करने और उनकी रोजी-रोटी छीनने का काम कर रही है।
जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में प्रशासन अतिक्रमण विरोधी अभियान चला रखा है, जिसके खिलाफ कई क्षेत्रों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
मामला
क्या है मामला?
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन द्वारा सरकारी भूमि पर किये गए अवैध अतिक्रमण को बुडोलजर चलाकर ध्वस्त किया जा रहा है और सरकारी भूमि पर दोबारा कब्जा हासिल किया जा रहा है।
बीते दिनों उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कार्रवाई का विरोध कर रहे लोगों को आश्वस्त किया था कि गरीबों के हकों को सुरक्षित रखा जाएगा और यह कार्रवाई प्रभावशाली और शाक्तिशाली लोगों को खिलाफ है, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।
हालांकि, विपक्ष इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध कर रहा है।
विपक्ष का बयान
महबूबा मुफ्ती बोलीं- जम्मू कश्मीर को अफगानिस्तान बनाना चाहती है भाजपा
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि कश्मीर में फिलिस्तीन से भी बदतर हालत बन गए हैं और अतिक्रमण विरोध अभियान में गरीबों के घरों को तोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा, "फिलिस्तीन में इजरायल जो कर रहा है, उससे भाजपा सीख ले रही है। अब उन्होंने इसे फिलिस्तीन से भी बदतर बना दिया है। वे जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहते हैं।"
भूमि सुधार
भूमिहीनों का हक छीनना चाहती है सरकार- उमर अब्दुल्ला
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शेख अब्दुल्ला द्वारा किये गए भूमि सुधार को उलटने की कोशिश कर रही है, जिसने 1950 में जम्मू-कश्मीर में भूमिहीन किसानों को मालिकाना हक दिया था।
उन्होंने कहा, "बिना कोई नोटिस जारी किये सीधे घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। अगर किसी ने किसी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उन्हें नोटिस जारी करना चाहिए, उन्हें जवाब देने का समय देना चाहिए।"
आरोप
मुस्लिमों को बनाया जा रहा निशाना- सज्जाद लोन
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन का आरोप है कि प्रशासन की इस कार्रवाई में बेघर हुए लोगों में से 90 प्रतिशत मुस्लिम हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
उन्होंने कहा, "मुझे गलतफहमी थी कि आप सबके प्रधानमंत्री हैं। कृपया मुझे बताएं कि मेरा और इन गरीब लोगों का प्रधानमंत्री कौन है, जिनके घरों पर आप बुलडोजर चलवाकर उन्हें बेघर कर रहे हैं।"
रोशनी योजना
कब्जाधारियों को मालिकाना हक देने वाले अधिनियम को किया जा चुका है रद्द
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 2001 में रोशनी अधिनियम पारित हुआ था। इसके तहत साल 2007 में राज्य सरकार ने अवैध कब्जाधारियों को जमीन का मालिकाना हक दिया था, जबकि कृषि भूमि उन लोगों को मुफ्त में दे दी गई थी जो उस पर खेती कर रहे थे।
साल 2018 में केंद्रीय शासन लागू होने के बाद राज्यपाल ने इस अधिनियम को निरस्त कर दिया, वहीं साल 2020 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने रोशनी योजना को अवैध घोषित कर दिया।